उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में मंलगवार को वाराणसी के जिला जज सुनवाई का क्रम तय करेंगे. बता दें कि सोमवार को जिला जज की अदालत में दोपहर 2:10 बजे कार्रवाई शुरू हुई और लगभग 42 मिनट चली. कोर्ट की कार्रवाई के बाद जिला जज ने मंगलवार को फैसला देने की बात कही थी. ऐसे में आज पता चलेगा कि पूरे मामले में किसका पक्ष पहले सुना जाएगा. कल मस्जिद पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने कहा था कि श्रृंगार गौरी प्रकरण में सुनने का मतलब, प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट यानी पूजा स्थल कानून 1991 का उल्लंघन है.
'पहले इसी अर्जी पर सुनवाई होनी चाहिए'
मस्जिद पक्ष के वकील ने कहा, " लोअर कोर्ट सिविल जज सीनियर के यहां इस एप्लीकेशन को नकारते हुए, कमीशन की कार्यवाही करा दी गई है, जो वैधानिक नहीं कहा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट में इसके मेंटेनेबिलिटी की ही अर्जी डाली गई है. सुप्रीम कोर्ट ने आपको सुनने के लिए कहा है. लिहाजा पहले इसी अर्जी पर सुनवाई होनी चाहिए."
इधर, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उनके पिता हरिशंकर जैन (जो वादी पक्ष के अधिवक्ता हैं) बीमार चल रहे हैं, इसलिए कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकते. विष्णु शंकर जैन ने कुछ दिन पहले हुए कमीशन की कार्रवाई में भी कहा था कि अभी उसकी प्रति ही मिली है. बाकी फोटो और वीडियो का अध्ययन नहीं हुआ है. ऐसे में सर्वे संबंधित फोटो और वीडियो भी उपलब्ध कराते हुए उसके अध्ययन के लिए समय दिया जाए.
वहीं, कोर्ट की कार्यवाही के दौरान शासकीय अधिवक्ता महेंद्र नाथ पांडे ने भी अपनी बातें रखीं. इसमें उन्होंने कहा कि सर्वे के बाद से ही वादी और जिला प्रशासन की अर्जी लंबित है. उसे प्राथमिकता से निस्तारित किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष की ओर से मेंटेनेबिलिटी से संबंधित जो आवेदन लंबित है, उसकी प्रति भी अभी नहीं मिली है. ऐसे में अदालत ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद आज इस पर अपना आदेश सुनाने की बात कही है. इस पूरे मामले में आज तय होगा कि मुकदमा की कार्यवाही कैसे और किस दिशा में शुरू होगी.
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