एनडीटीवी से बातचीत करते हुए नितिन पटेल...
अहमदाबाद:
गुजरात के भावी उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल उत्तरी गुजरात के कड़वा पटेल नेता हैं. सालों से सरकार में मंत्री रहे हैं. वह ऐसे समय में उप मुख्यमंत्री बन रहे हैं जब गुजरात हाईकोर्ट ने ईबीसी कोटा रद्द कर दिया है और उना घटना के बाद से दलित लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रह हैं. पेश है एनडीटीवी इंडिया से उनकी एक्सक्लूसिव बातचीत.. (देखें वीडियो)
ईबीसी आरक्षण हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, आने वाला ताज कांटों भरा होगा?
पहले से सुनता आ रहा हूं सीएम या प्रधानमंत्री का ताज कांटों भरा होता है, क्योंकि उसके साथ जिम्मेदारी जुड़ी होती है. लोगों को सरकार से अपेक्षाएं होती हैं और होनी भी चाहिए. लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है. जिसे भी पार्टी जिम्मेदारी देगी, उसके लिए चुनौती तो होगी ही.
ईबीसी खारिज होने के बाद अब क्या पटेल आंदोलन की समस्या बढ़ जाएगी?
गुजरात पहला राज्य था जिसने ऐसा कानून बनाया। इकोनोमिकली बैकवर्ड क्लास के लिए हमने आरक्षण दिया किसी जाति के आधार पर नहीं किया। आर्थिक स्थिति को आधार बनाया। हम इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
क्या आप इसका कोई विकल्प भी ढूंढ रहे हैं क्योंकि इसका सुप्रीम कोर्ट में भी टिक पाना मुश्किल लग रहा है?
हार्दिक पटेल ने सीएम और समाज को खुला खत लिखा था. उसमें साफ लिखा था कि वह ओबीसी के साथ नहीं जाना चाहते. वह अलग से रिजर्वेशन चाहिए. उन्होंने इकोनोमिकली बैकवर्ड क्लास के आधार पर रिजर्वेशन मांगा था.
उना घटना के बाद दलितों का आक्रोश बढ़ा है, क्या इसे संभालना भी बड़ी चुनौती होगा?
सभी सरकारें किसी भी आंदोलन को संभालती ही हैं. सरकार ने पटेल आंदोलन के लिए बहुत अच्छे प्रयत्न करके काफी रियायतें दीं. दलित समाज के लिए हमारी सरकार ने जो भी किया है उसे दलित समाज स्वीकार भी करता है. दलितों का आंदोलन सरकार के खिलाफ नहीं, किसी घटना के खिलाफ होता है. हमने उना घटना के खिलाफ तुरंत एक्शन लिया.
ईबीसी आरक्षण हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, आने वाला ताज कांटों भरा होगा?
पहले से सुनता आ रहा हूं सीएम या प्रधानमंत्री का ताज कांटों भरा होता है, क्योंकि उसके साथ जिम्मेदारी जुड़ी होती है. लोगों को सरकार से अपेक्षाएं होती हैं और होनी भी चाहिए. लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है. जिसे भी पार्टी जिम्मेदारी देगी, उसके लिए चुनौती तो होगी ही.
ईबीसी खारिज होने के बाद अब क्या पटेल आंदोलन की समस्या बढ़ जाएगी?
गुजरात पहला राज्य था जिसने ऐसा कानून बनाया। इकोनोमिकली बैकवर्ड क्लास के लिए हमने आरक्षण दिया किसी जाति के आधार पर नहीं किया। आर्थिक स्थिति को आधार बनाया। हम इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
क्या आप इसका कोई विकल्प भी ढूंढ रहे हैं क्योंकि इसका सुप्रीम कोर्ट में भी टिक पाना मुश्किल लग रहा है?
हार्दिक पटेल ने सीएम और समाज को खुला खत लिखा था. उसमें साफ लिखा था कि वह ओबीसी के साथ नहीं जाना चाहते. वह अलग से रिजर्वेशन चाहिए. उन्होंने इकोनोमिकली बैकवर्ड क्लास के आधार पर रिजर्वेशन मांगा था.
उना घटना के बाद दलितों का आक्रोश बढ़ा है, क्या इसे संभालना भी बड़ी चुनौती होगा?
सभी सरकारें किसी भी आंदोलन को संभालती ही हैं. सरकार ने पटेल आंदोलन के लिए बहुत अच्छे प्रयत्न करके काफी रियायतें दीं. दलित समाज के लिए हमारी सरकार ने जो भी किया है उसे दलित समाज स्वीकार भी करता है. दलितों का आंदोलन सरकार के खिलाफ नहीं, किसी घटना के खिलाफ होता है. हमने उना घटना के खिलाफ तुरंत एक्शन लिया.
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