प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
चीनी पर स्पेशल सेस लगाने का प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बास्ते में डाल दिया गया है. बुधवार को दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल द्वारा गठित ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स की बैठक में ये फैसला लिया गया. 4 मई को जीएसटी काउंसिल ने इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक मंत्री समूह का गठन किया था. असम के वित्त मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई ग्रुप ऑफ़ मिनिस्टर्स की बैठक में तय किया गया कि सेस लगाने का अधिकार जीएसटी काउंसिल के पास है या नहीं ये मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट मैं लंबित है.
बैठक के बाद हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "चीनी पर सेस लगाने के प्रस्ताव पर अटॉर्नी जनरल की रिपोर्ट अभी तक नहीं आयी है. हमें बताया गया है की अटॉर्नी जनरल इस मामले मैं सुप्रीम कोर्ट की राय तय होने के बाद ही अपनी राय हमें देंगे. इसलिए हमने तय किया है कि 21 जुलाई को होने वाली जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में हम अपनी रिपोर्ट पेश नहीं करेंगे."
साथ ही, शर्मा ने ये भी कहा की पिछले 45 दिनों में शुगर इंडस्ट्री में हालात सुधरे हैं और किसानों का बकाया 23000 करोड़ से घटकर 18000 करोड़ हो गया है. ऐसे में ये सोच भी उभर रही है कि क्या मौजूदा परस्थिति में शुगर पर सेस लगाना जरूरी होगा या नहीं.
बैठक के बाद हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "चीनी पर सेस लगाने के प्रस्ताव पर अटॉर्नी जनरल की रिपोर्ट अभी तक नहीं आयी है. हमें बताया गया है की अटॉर्नी जनरल इस मामले मैं सुप्रीम कोर्ट की राय तय होने के बाद ही अपनी राय हमें देंगे. इसलिए हमने तय किया है कि 21 जुलाई को होने वाली जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में हम अपनी रिपोर्ट पेश नहीं करेंगे."
साथ ही, शर्मा ने ये भी कहा की पिछले 45 दिनों में शुगर इंडस्ट्री में हालात सुधरे हैं और किसानों का बकाया 23000 करोड़ से घटकर 18000 करोड़ हो गया है. ऐसे में ये सोच भी उभर रही है कि क्या मौजूदा परस्थिति में शुगर पर सेस लगाना जरूरी होगा या नहीं.
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