नई दिल्ली:
नोटबंदी के फैसले के बाद नकदी की समस्या से पूरा देश जूझ रहा है, लेकिन इससे विशेषकर किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार ने बुधवार को ऐलान किया कि नाबार्ड, ज़िला सहकारी बैंकों को 21000 करोड़ रुपये मुहैया कराएगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में कैश की कमी कम हो सके.
हापुड़ ज़िले के धौलाना इलाके के किसान राजेश को पेट का ऑपरेशन कराना है, लेकिन नोटबंदी के बाद ज़रूरी पैसा जुटा नहीं पाए तो डॉक्टर ने ऑपरेशन को ही टाल दिया. एनडीटीवी की टीम जब उनके खेत पर उनसे मुलाकात की तो वो परेशान दिखे. राजेश ने कहा, 'मैंने डाक्टर से गुज़ारिश की कि वो ऑपरेशन को ना रोकें, लेकिन डॉक्टर ने कहा कि दवा और ऑपरेशन के खर्च के लिए कैश देना ही होगा.'
धौलाना में राजेश जैसे कई लोग हैं, जिन्हें कर्ज मिलना तो दूर अपना पैसा भी नहीं मिल रहा है. जिला सहकारी बैंकों के पास जरूरी कैश की कमी है. धौलाना के जिला सहकारी बैंक के मैनेजर अनिल कुमार कहते हैं, बैंक में पिछले 15 दिन में सिर्फ 11 लाख रुपये हमारे ब्रांच में आया है. कहां से 11000 खाता धारकों को हम पैसा मुहैया करा पाएंगे? बैंक के कैशियर अनिल कुमार कहते हैं, 'किसान हमसे नाराज़ हैं, लेकिन हम उन्हें ज़रूरत के मुताबिक पैसा कैसे दें. किसानों के कई पेमेंट रुके हुए हैं.'
बैंक की लाइन में घंटों से खड़े लोगों में कई किसान भी हैं. कहते हैं कैश आसानी से मिल नहीं रहा. ऐसे में जरूरत के मुताबिक बीज और खाद दोनों खरीदना मुश्किल हो रहा है. गन्ना किसानों की शिकायत ये है कि बकाया पैसा उन्हें मिल नहीं पा रहा.
अब बुधवार को सरकार ने ऐलान किया है कि नाबार्ड सभी जिला सहकारी बैंकों को 21000 करोड़ रुपये मुहैया कराएगा. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने दिल्ली में इसकी घोषणा की, लेकिन किसानों तक इसका फायदा पहुंचते-पहुंचते अगर देर हुई तो उनकी रबी की फसल पर भी असर पड़ेगा और उनकी मुसीबत भी बढ़ेगी.
हापुड़ ज़िले के धौलाना इलाके के किसान राजेश को पेट का ऑपरेशन कराना है, लेकिन नोटबंदी के बाद ज़रूरी पैसा जुटा नहीं पाए तो डॉक्टर ने ऑपरेशन को ही टाल दिया. एनडीटीवी की टीम जब उनके खेत पर उनसे मुलाकात की तो वो परेशान दिखे. राजेश ने कहा, 'मैंने डाक्टर से गुज़ारिश की कि वो ऑपरेशन को ना रोकें, लेकिन डॉक्टर ने कहा कि दवा और ऑपरेशन के खर्च के लिए कैश देना ही होगा.'
धौलाना में राजेश जैसे कई लोग हैं, जिन्हें कर्ज मिलना तो दूर अपना पैसा भी नहीं मिल रहा है. जिला सहकारी बैंकों के पास जरूरी कैश की कमी है. धौलाना के जिला सहकारी बैंक के मैनेजर अनिल कुमार कहते हैं, बैंक में पिछले 15 दिन में सिर्फ 11 लाख रुपये हमारे ब्रांच में आया है. कहां से 11000 खाता धारकों को हम पैसा मुहैया करा पाएंगे? बैंक के कैशियर अनिल कुमार कहते हैं, 'किसान हमसे नाराज़ हैं, लेकिन हम उन्हें ज़रूरत के मुताबिक पैसा कैसे दें. किसानों के कई पेमेंट रुके हुए हैं.'
बैंक की लाइन में घंटों से खड़े लोगों में कई किसान भी हैं. कहते हैं कैश आसानी से मिल नहीं रहा. ऐसे में जरूरत के मुताबिक बीज और खाद दोनों खरीदना मुश्किल हो रहा है. गन्ना किसानों की शिकायत ये है कि बकाया पैसा उन्हें मिल नहीं पा रहा.
अब बुधवार को सरकार ने ऐलान किया है कि नाबार्ड सभी जिला सहकारी बैंकों को 21000 करोड़ रुपये मुहैया कराएगा. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने दिल्ली में इसकी घोषणा की, लेकिन किसानों तक इसका फायदा पहुंचते-पहुंचते अगर देर हुई तो उनकी रबी की फसल पर भी असर पड़ेगा और उनकी मुसीबत भी बढ़ेगी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
नोटबंदी, सहकारी बैंक, करेंसी बैन, नकदी संकट, नाबार्ड, Currency Ban, Cooperative Bank, NABARD, Cash Crunch, Demonetisation