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This Article is From Dec 24, 2018

क्‍या ऑनलाइन कंटेंट की निगरानी की तैयारी कर रही है सरकार? IT क़ानून में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार

ऑनलाइन कंपनियों से कहा जा सकता है कि वे इस मामले में ऐसी प्रो ऐक्टिव तकनीक की मदद लें जो किसी अवैध सामग्री को पहले ही ऑनलाइन जाने से रोक सके.

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

नई दिल्‍ली:

देश की 10 जांच एजेंसियों को सभी कंप्‍यूटरों पर नजर रखने का अधिकार देने के बाद अब केंद्र सरकार की कोशिश ऑनलाइन सामग्री की निगरानी की है. ऑनलाइन कंपनियों से कहा जा सकता है कि वे इस मामले में ऐसी प्रो ऐक्टिव तकनीक की मदद लें जो किसी अवैध सामग्री को पहले ही ऑनलाइन जाने से रोक सके. सरकार ने आइटी क़ानून की धारा 79 के तहत सामग्री के नियमों में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार किया है. इस संशोधन के तहत कंपनियां ऐसी तकनीक लगाने को बाध्य होंगी जो पहले ही नाजायज़ सामग्री की छंटाई कर ले. उन्हें किसी संदेश के स्रोत तक पहुंचने की सुविधा भी मुहैया करानी होगी. पांच पेज के इस ड्राफ़्ट पर सरकार ने अलग-अलग पक्षों के साथ बैठक भी की है. इनमें गूगल, फेसबुक, वाट्सऐप, एमेजॉन, याहू, ट्विटर आदि के नुमाइंदे भी शामिल थे. सरकार के इस कदम को ऑनलाइन नियंत्रण की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

हालांकि ख़बर छपने के बाद सरकारी सूत्रों की ओर से इस पर सफ़ाई भी आ रही है. उनकी ओर से कहा जा रहा है कि ये अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक लगाने का मामला नहीं है. ये बस इंटरनेट और सोशल मीडिया से जुड़ी कंपनियों के साथ विचार-विमर्श भर है. सरकार ने अब तक कोई फ़ैसला नहीं किया है. अफवाहों की वजह से होने वाली भीड़ की हिंसा को ध्यान में रखते हुए ये किया जा रहा है. अभी अफ़सरों के स्तर पर ही बात है, मंत्रियों के स्तर पर नहीं. सभी कंपनियों को ड्राफ़्ट गाइडलाइन दी गई है. 7 जनवरी तक उनके सुझाव मांगे गए हैं.

इससे पहले देश की 10 बड़ी सुरक्षा एजेंसियों को देशभर के कंप्यूटरों पर नजर रखने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर इन एजेंसियों को कंप्यूटर डाटा की जांच का अधिकार दिया था. गृह मंत्रालय के इस नोटिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि 20 दिसंबर का ये आदेश गैरकानूनी, मौलिक अधिकारों के खिलाफ और संविधान के विपरित है. गृहमंत्रालय इस तरह का ब्लैंकेट सर्विलांस का आदेश जारी नहीं कर सकता और इसे निजता के अधिकार की कसौटी पर तौला जाना चाहिए.

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश की 10 बड़ी सुरक्षा एजेंसियों को देश के सभी कंप्यूटरों में नजर रखने की इजाजत दी है. इन एजेंसियों के पास अधिकार होगा कि ये आपके कंप्यूटर डाटा की जांच कर सके और उस पर नजर रख सकें. केंद्र सरकार ने सरकारी आदेश जारी करते हुए इन 10 एजेंसियों के नाम भी जाहिर किए हैं, जिन्हें ये अधिकार दिया गया है. इनमें सीबीआई, आईबी, एनआईए जैसी बड़ी सुरक्षा एजेंसियां भी शामिल हैं. गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक ये एजेंसियां आपके कंप्यूटर पर नजर रख सकती हैं.

VIDEO: प्राइम टाइम : क्या सरकार आपको देख रही है?

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