प्रकाश जावड़ेकर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार 10वीं बोर्ड परीक्षा को फिर से अनिवार्य बनाने के बारे में विचार कर रही है, लेकिन अगर ऐसा कोई निर्णय लिया जाता है तो वह अगले शैक्षणिक सत्र से ही लागू होगा.
फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जावड़ेकर ने कहा, मैं सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा फिर से शुरू करना चाहता हूं, क्योंकि सीबीएसई को छोड़कर अन्य सभी छात्र बोर्ड परीक्षा देते हैं, लेकिन सीबीएसई के लिए यह वैकल्पिक है. ऐसा क्यों ? ’’ मंत्री ने कहा कि उन्हें पत्रकारों समेत अन्य लोगों से इस बारे में काफी बार पूछा गया है.
जावड़ेकर ने स्पष्ट किया, मैंने कहा है कि जो भी मैं इस वर्ष बदलाव करूंगा, वह 2017-18 से लागू होगी, इस वर्ष से नहीं. मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि सरकार की नई व्यवस्था लाने की योजना है जिसके तहत शैक्षणिक संस्थाओं का नियमन होगा.
उन्होंने कहा कि नैक रेटिंग के अलावा शैक्षणिक संस्थाओं की रैकिंग करने के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एनआईआरएफ रैंकिंग को भी ध्यान में रखा जाएगा.
उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं को अधिकतम स्वायत्ता प्रदान की जाएगी और न्यूनतम नियमन होगा. अगली श्रेणी के लिए स्वायत्ता और नियमन में संतुलन होगा. जावडेकर ने कहा कि इन दोनों तरह के संस्थाओं से जो पीछे रह जाएंगे, उन्हें अधिक नियमन और कम स्वायत्ता मिलेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता सबसे बड़ी चुनौती है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जावड़ेकर ने कहा, मैं सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा फिर से शुरू करना चाहता हूं, क्योंकि सीबीएसई को छोड़कर अन्य सभी छात्र बोर्ड परीक्षा देते हैं, लेकिन सीबीएसई के लिए यह वैकल्पिक है. ऐसा क्यों ? ’’ मंत्री ने कहा कि उन्हें पत्रकारों समेत अन्य लोगों से इस बारे में काफी बार पूछा गया है.
जावड़ेकर ने स्पष्ट किया, मैंने कहा है कि जो भी मैं इस वर्ष बदलाव करूंगा, वह 2017-18 से लागू होगी, इस वर्ष से नहीं. मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि सरकार की नई व्यवस्था लाने की योजना है जिसके तहत शैक्षणिक संस्थाओं का नियमन होगा.
उन्होंने कहा कि नैक रेटिंग के अलावा शैक्षणिक संस्थाओं की रैकिंग करने के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एनआईआरएफ रैंकिंग को भी ध्यान में रखा जाएगा.
उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं को अधिकतम स्वायत्ता प्रदान की जाएगी और न्यूनतम नियमन होगा. अगली श्रेणी के लिए स्वायत्ता और नियमन में संतुलन होगा. जावडेकर ने कहा कि इन दोनों तरह के संस्थाओं से जो पीछे रह जाएंगे, उन्हें अधिक नियमन और कम स्वायत्ता मिलेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता सबसे बड़ी चुनौती है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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