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This Article is From Dec 21, 2015

'सरकार को जुवेनाइल जस्टिस बिल को प्राथमिकता देनी चाहिए'

'सरकार को जुवेनाइल जस्टिस बिल को प्राथमिकता देनी चाहिए'
नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्षी दलों ने सोमवार की कार्यसूची में जुवेनाइल जस्टिस संशोधन अधिनियम न होने का मामला उठाया। जिसके बाद सरकार ने पूरक सूची लाकर इस बिल को कार्यसूची में जोड़ दिया।

दरअसल जुवेनाइल जस्टिस बिल कल यानी मंगलवार की कार्यसूची में डाला गया था, जबकि राज्यसभा की आज की सूची में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक पर चर्चा होनी थी।

टीएमसी के डेरेक ओ' ब्रायन ने जुवेनाइल जस्टिस बिल को आज की कार्यसूची में न रखने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार गंभीर है तो इस बिल को प्राथमिकता देनी चाहिए थी।

इस पर सरकार की ओर से संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नक़्वी ने कहा कि बिल को 8, 10 और 11 दिसंबर को सूची में डाला गया था किंतु चर्चा नहीं हो पाई।

बाद में मसले की संवेदनशीलता को देख सीपीएम और कांग्रेस समेत दूसरे दलों ने भी जुवेनाइल जस्टिस बिल को लेकर सरकार की गंभीरता पर सवाल उठा दिए। बाद में सरकार ने कहा कि एक पूरक सूची जोड़ी जा रही है, जिसमें जूवेनाइल जस्टिस बिल भी लगा दिया जाएगा।

ग़ौरतलब है कि यह बिल लोकसभा में इस साल मई में ही पास कर दिया गया था। लेकिन राज्यसभा में सत्तारूढ़ बीजेपी के अल्पमत में होने के कारण लंबे समय से अटका हुआ पड़ा है। संशोधित बिल के पास होने के बाद रेप, मर्डर और एसिड अटैक जैसे अपराधों में शामिल नाबालिगों को बालिग मानकर ही सज़ा दी जाएगी। अगर राज्यसभा में यह बिल शीत सत्र के बचे हुए दो दिन में पारित भी हो जाता है, तो भी निर्भया मामले के बलात्कारी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

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