गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि सरकारी प्रतिष्ठानों और मंत्रालयों में दो साल नई नियुक्तियों पर रोक लगाए जाने जैसा कोई आदेश नहीं दिया गया है। सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया। वह कोई असंवेदनशील सरकार ही होगी जो ऐसा आदेश देगी। हमारी सरकार चाहती है कि हर हाथ को रोजगार मिले।’
उन्होंने बताया, ‘अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले और अधिक संख्या में रोजगार सृजित हों, इस बारे में नीतियां बनाई जा रही हैं।’ यह हस्तक्षेप उन्होंने इस सवाल पर किया कि क्या सरकारी प्रतिष्ठानों और मंत्रालयों में दो साल नई नियुक्तियों पर रोक लगाए जाने जैसा कोई आदेश जारी किया गया है। इससे पहले श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि देश में रोजगार सृजन के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं जिनमें अर्थव्यवस्था के निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना, पर्याप्त निवेश वाली विभिन्न परियोजनाओं का तेजी से अनुसरण करना और रोजगार के संबंध में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा संचालित योजनाओं पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि करना शामिल है।
उन्होंने बताया कि रोजगार देने के लिए अति लघु, लघु एवं मझौले उद्यम मंत्रालय द्वारा संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) मनरेगा, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, आवास एवं शहरी निर्धनता उन्मूलन मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) जैसी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
पूरक प्रश्न के उत्तर में श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि 12 वीं पंचवर्षीय योजना में गैर कृषि क्षेत्र में पांच करोड़ नए कार्य अवसर सृजित किए जाने तथा इतनी ही संख्या में कौशल प्रशिक्षण दिए जाने का आकलन किया गया है। दत्तात्रेय ने बताया कि सरकार की विनिर्माण नीति का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 10 करोड़ रोजगार सृजित करना है। इसके अलावा कार्यनीति के तहत लेबर-इन्टेन्सिव मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और पर्यटन तथा कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दे कर रोजगार अवसरों का विस्तार करने का भी फैसला किया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रमुख क्षेत्रों के कार्य बल के अनुमान उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों में वृद्धि के साथ रोजगार के समग्र स्तर में वृद्धि दर्शाते हैं। दत्तात्रेय ने हालांकि यह भी बताया कि बेरोजगारी का स्तर वर्ष 2009-10 के दौरान 0.95 करोड़ था जो वर्ष 2011-12 में आंशिक रूप से बढ़ कर 1.06 करोड़ हो गया।
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