प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
स्किल इंडिया अभियान के तहत फ्रेंचाइजी केंद्रों के काम न मिलने की शिकायत और प्रदर्शन के बीच कौशल विकास ने बयान जारी कर कहा है कि फ्रेंचाइजी सेंटरों को काम न देने का फैसला सिर्फ चंद दिनों के लिए है. बाद में सभी को सभी को मेरिट के आधार पर काम दिया जाएगा. इससे पहले शुक्रवार को फिर फ्रेंचाइज़ी सेंटर्स के मालिकों ने कौशल मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया था और पुलिस को पत्र लिखकर आत्महत्या करने की अनुमति भी मांगी थी. हालांकि इसके साथ ही कौशल मंत्रालय ने इस तरह के फर्जी केंद्रों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है. ये कार्रवाई NDTV की उस रिपोर्ट के बाद हुई है जिसमें दिखाया गया था कि किस तरह कई फ़र्ज़ी सेंटर चल रहे हैं. हालांकि उस रिपोर्ट में असली फ्रेंचाइज़ी सेंटरों की भी समस्याओं को पेश किया गया था.
NDTV की ख़बर के बाद कौशल मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ''फ्रेंचाइज़ी सेंटरों को काम न देने का फ़ैसला सिर्फ़ कुछ दिनों के लिए है बाद में सभी को मेरिट पर काम दिया जाएगा. साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कोटे का काम दिया जा चुका है लेकिन फिर भी बचे हुए सेंटरों के लिए भी व्यवस्था की जाएगी.''
NDTV ने 29 जून 2017 को दिखाया था कि किस तरह NSDC(नेशनल स्किल डेवलेपमेंट काउंसिल) ने नियमों का उल्लंघन करके फर्ज़ी सेंटरों को काम दे दिया था जबकि NSDC द्वारा पास किए गए सेंटरों को काम नहीं दिया जा रहा था. उस रिपोर्ट में कुछ ऐसे केंद्र दिखाए गए थे जोकि NSDC की वेबसाइट पर तो हैं पर जब जा कर पड़ताल की गई तो पाया गया कि वो सेंटर वहां हैं ही नहीं जैसे NSDC की वेबसाइट पर दिखाया जा रहा था. मसलन ग्रेटर नोएडा के पते पर SPEJ wellness नाम का एक सेंटर चल रहा है जहां ब्यूटीशिअन का काम सिखाया जाना चाहिए था लेकिन NDTV की तफ्शीश में पता चला कि वहां ऐसा कोई सेंटर नहीं है बल्कि वेबसाइट पर दिए गए पते पर बच्चों का हॉस्टल चल रहा है. पड़ताल में इस तरह के कई और सेंटर भी मिले थे.
हालांकि कौशल मंत्रालय के आश्वासन के बाद भी फ्रेंचाइज़ी सेंटर मालिकों ने शुक्रवार को मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया और इस बार आत्महत्या करने की अनुमति मांगते हुए अर्ज़ियां भी लेकर आए. दरअसल इस पूरे मामले में सबसे बड़ी समस्या पारदर्शिता की है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का लक्ष्य युवाओं को सिखा कर कुशल बनाने का है पर NSDC द्वारा की गई लापरवाही की वजह से योजना का उद्देश्य ही कमज़ोर पड़ गया है.
NDTV की ख़बर के बाद कौशल मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ''फ्रेंचाइज़ी सेंटरों को काम न देने का फ़ैसला सिर्फ़ कुछ दिनों के लिए है बाद में सभी को मेरिट पर काम दिया जाएगा. साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कोटे का काम दिया जा चुका है लेकिन फिर भी बचे हुए सेंटरों के लिए भी व्यवस्था की जाएगी.''
NDTV ने 29 जून 2017 को दिखाया था कि किस तरह NSDC(नेशनल स्किल डेवलेपमेंट काउंसिल) ने नियमों का उल्लंघन करके फर्ज़ी सेंटरों को काम दे दिया था जबकि NSDC द्वारा पास किए गए सेंटरों को काम नहीं दिया जा रहा था. उस रिपोर्ट में कुछ ऐसे केंद्र दिखाए गए थे जोकि NSDC की वेबसाइट पर तो हैं पर जब जा कर पड़ताल की गई तो पाया गया कि वो सेंटर वहां हैं ही नहीं जैसे NSDC की वेबसाइट पर दिखाया जा रहा था. मसलन ग्रेटर नोएडा के पते पर SPEJ wellness नाम का एक सेंटर चल रहा है जहां ब्यूटीशिअन का काम सिखाया जाना चाहिए था लेकिन NDTV की तफ्शीश में पता चला कि वहां ऐसा कोई सेंटर नहीं है बल्कि वेबसाइट पर दिए गए पते पर बच्चों का हॉस्टल चल रहा है. पड़ताल में इस तरह के कई और सेंटर भी मिले थे.
हालांकि कौशल मंत्रालय के आश्वासन के बाद भी फ्रेंचाइज़ी सेंटर मालिकों ने शुक्रवार को मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया और इस बार आत्महत्या करने की अनुमति मांगते हुए अर्ज़ियां भी लेकर आए. दरअसल इस पूरे मामले में सबसे बड़ी समस्या पारदर्शिता की है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का लक्ष्य युवाओं को सिखा कर कुशल बनाने का है पर NSDC द्वारा की गई लापरवाही की वजह से योजना का उद्देश्य ही कमज़ोर पड़ गया है.
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