गूगल का डूडल
देश की आजादी की 70वीं सालगिरह पर पूरे देश में जश्न का माहौल है. इस अवसर पर गूगल भी खास अंदाज में बेहद खूबसूरत डूडल बनाकर आजादी के जश्न को मना रहा है. इससे पहले राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को राष्ट्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में नोटबंदी से लेकर स्वच्छ भारत अभियान, न्यू इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी तमाम बातों का जिक्र किया. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि समाज को ऐसा होना चाहिए, जो भविष्य की ओर तेजी से बढ़ने के साथ-साथ, संवेदनशील भी हो. पढ़ें राष्ट्रपति का पूरा संदेश...
स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. मंगलवार को देश आजादी की वर्षगांठ मनाने जा रहा है. इस सत्तरवीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर मैं आप सबको हार्दिक बधाई देता हूं. 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था. संप्रभुता पाने के साथ-साथ उसी दिन से देश की नियति तय करने की जिम्मेदारी भी ब्रिटिश हुकूमत के हाथों से निकलकर हम भारतवासियों के पास आ गई थी. कुछ लोगों ने इस प्रक्रिया को ‘सत्ता का हस्तांतरण’ भी कहा था.
लेकिन वास्तव में वह केवल सत्ता का हस्तांतरण नहीं था. वह एक बहुत बड़े और व्यापक बदलाव की घड़ी थी. वह हमारे समूचे देश के सपनों के साकार होने का पल था - ऐसे सपने जो हमारे पूर्वजों और स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे. अब हम एक नये राष्ट्र की कल्पना करने और उसे साकार करने के लिए आजाद थे.
हमारे लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि स्वतंत्र भारत का उनका सपना, हमारे गांव, गरीब और देश के समग्र विकास का सपना था.
स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. मंगलवार को देश आजादी की वर्षगांठ मनाने जा रहा है. इस सत्तरवीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर मैं आप सबको हार्दिक बधाई देता हूं. 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था. संप्रभुता पाने के साथ-साथ उसी दिन से देश की नियति तय करने की जिम्मेदारी भी ब्रिटिश हुकूमत के हाथों से निकलकर हम भारतवासियों के पास आ गई थी. कुछ लोगों ने इस प्रक्रिया को ‘सत्ता का हस्तांतरण’ भी कहा था.
लेकिन वास्तव में वह केवल सत्ता का हस्तांतरण नहीं था. वह एक बहुत बड़े और व्यापक बदलाव की घड़ी थी. वह हमारे समूचे देश के सपनों के साकार होने का पल था - ऐसे सपने जो हमारे पूर्वजों और स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे. अब हम एक नये राष्ट्र की कल्पना करने और उसे साकार करने के लिए आजाद थे.
हमारे लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि स्वतंत्र भारत का उनका सपना, हमारे गांव, गरीब और देश के समग्र विकास का सपना था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं