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17 साल की नौकरी छोड़ राजनीति में कूदे निशिकांत दुबे, बेबाक बयानों के बादशाह, राज ठाकरे के बाद किसका नंबर?

Nishikant Dubey vs Raj Thackeray: झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद निशिकांत दुबे फिर सुर्खियों में हैं. राज ठाकरे को पटक-पटक कर मारने की बात कहने वाले बीजेपी सांसद अपनी बात पर कायम हैं.

17 साल की नौकरी छोड़ राजनीति में कूदे निशिकांत दुबे, बेबाक बयानों के बादशाह, राज ठाकरे के बाद किसका नंबर?
Nishikant Dubey vs Raj Thackeray
  • निशिकांत दुबे और राज ठाकरे में जुबानी जंग तेज हुई
  • निशिकांत दुबे गोड्डा लोकसभा सीट से 4 बार से सांसद
  • अपने आक्रामक बयानों के लिए मशहूर हैं बीजेपी सांसद
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नई दिल्ली:

Nishikant Dubey vs Raj Thackeray: बेबाक बयानों के लिए मशहूर झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे फिर चर्चा में हैं. निशिकांत दुबे ने यूपी-बिहार के हिन्दीभाषियों के खिलाफ मोर्चा खोले मनसे प्रमुख राज ठाकरे से जुबानी जंग में तीखे तेवर दिखाए हैं. राज ठाकरे को पटक-पटक कर मारने के जवाब में मनसे प्रमुख का दूबे को डुबो-डुबोकर मारने की बयान आया है. इस पर निशिकांत ने कहा है कि वो अपने बयान पर कायम हैं. 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में फिर वो बीजेपी की आक्रामक रणनीति का चेहरा बन सकते हैं.

बिहार जन्मभूमि-झारखंड कर्मभूमि
बिहार के भागलपुर जिले में 28 जनवरी 1969 को निशिकांत दुबे का जन्म हुआ था. उनका घर अविभाजित बिहार के देवघर में हुआ था, जो अब झारखंड में है. दुबे किशोरावस्था में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं से जुड़ गए. फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से छात्र राजनीति में कूदे. आज वो गोड्डा लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे हैं. देवघर और दुमका जिले में फैला गोड्डा देश में ललमटिया कोयला खानों के लिए पूरे एशिया में मशहूर है.

एमबीए की डिग्री, कॉरपोरेट नौकरी
कॉरपोरेट मैनेजमेंट में पीएचडी करने वाले निशिकांत दुबे के पास डॉक्टरेट की डिग्री है. एमबीए करने वाले निशिकांत दुबे एस्सार ग्रुप के निदेशक पद पर नौकरी भी की. फिर 17 साल की नौकरी छोड़ 56 साल की उम्र में 2009 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और तब से लगातार चार बार विजय पताका फहराई, जो उनकी लोकप्रियता का सबूत है. निशिकांत दुबे की संपत्ति चुनावी हलफनामे के अनुसार करीब 66 करोड़ है.

घुसपैठियों के खिलाफ आक्रामक तेवर
संसद से लेकर सड़क निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी, हेमंत सोरेन से लेकर राज ठाकरे तक किसी के खिलाफ तेवर ढीले नहीं किए.बिहार वोटर लिस्ट में स्पेशल रिवीजन के पहले झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ को लेकर वो बड़ा अभियान छेड़ चुके हैं. झारखंड में NRC की मांग को लेकर उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन को खुली चुनौती दी थी.बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिले से घुसपैठ का दावा करते हुए उसे केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग भी दुबे ने करके तहलका मचा दिया था.दुबे ने लोकसभा में बिल पेशकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए 5 सीटें रखे जाने की मांग भी उठाई थी. 75 साल में रिटायरमेंट की बहस में कूदते हुए निशिकांत दुबे ने खुले मंच से कहा कि नरेंद्र मोदी नेता नहीं होंगे तो बीजेपी 150 सीटें भी नहीं जीत सकती.

महुआ मोइत्रा और एसवाई कुरैशी भी निशाने पर रहे
निशिकांत दुबे ही वो सांसद हैं, जिन्होंने तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ पैसा लेकर सवाल पूछने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. संसद की कमेटी ने ये आरोप सही पाए जाने के बाद मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया था. वक्फ कानून को मुसलमानों की जमीन हड़पने की चाल बताने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी भी निशिकांत के निशाने पर आए. निशिकांत ने सीधे हमला कर कहा था, आप चुनाव आयुक्त नहीं, बल्कि मुस्लिम आयुक्त थे. झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में सबसे ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों के वोटर आईडी कार्ड आपके टाइम में बने थे.वक्फ एक्ट को लेकर तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो लोकसभा-विधानसभा को खत्म कर देना चाहिए. तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना भी उनके निशाने पर आए तो पार्टी को किनारा करना पड़ा.
 

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