फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन ने शीर्ष न्यायालय के चार न्यायाधीशों की ओर से न्यायपालिका को प्रभावित करने वाली समस्याएं गिनाने से जुड़े घटनाक्रम को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद’ करार दिया. पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि न्यायाधीशों को इस विषय पर चर्चा करनी चाहिए थी और अपने बीच ही इसका हल करना चाहिए था. उन्होंने कि न्यायपालिका आम आदमी का मंदिर है. इस तरह की स्थिति संस्था के बारे में संदेह पैदा करेगी और ऐसा नहीं होना चाहिए था. उन्होंने कहा, ‘‘जजों को स्थिति का हल तलाशने के लिए अब आगे बढ़ना चाहिए.’’ पूर्व सीजेआई ने कहा कि वह इस घटनाक्रम के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे. उन्होंने कहा कि ऐसी नौबत आनी ही नहीं चाहिए थी. यह पूछे जाने पर कि क्या चार न्यायाधीशों द्वारा किया गया संवाददाता सम्मेलन अनुचित था, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बालकृष्णन ने कहा यह कोई अपराध नहीं है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा- जो कुछ हुआ उसे टाला जा सकता था
घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति केटी थॉमस ने कहा कि इस विषय को बहुत ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि कॉलेजियम के चार वरिष्ठ जज आगे आए और अपनी बात रखी. उन्होंने अतीत में कॉलेजियम का हिस्सा रह चुके होने को याद करते हुए कहा कि उनसे (कॉलेजियम सदस्यों से) प्रधान न्यायाधीश हर अहम मुद्दों पर हमेशा ही परामर्श किया करते थे.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एन संतोष हेगड़े ने कहा कि वह इस घटनाक्रम से काफी निराश हैं, जिसने न्यायपालिका को ‘‘अपूर्णीय क्षति’’ पहुंचाई है. , उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज होने के नाते मैं काफी निराश महसूस कर रहा हूं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘कहीं ना कहीं, उन लोगों का उद्देश्य उचित है, (लेकिन) वे लोग मीडिया में जा कर जो राहत मांग रहे हैं... वह गलत है. न्यायपालिका को हमेशा से ही एक परिवार माना जाता रहा है.’उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में बहुत दुखी महसूस कर रहा हूं। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि वे लोग (चार जज) कई चीजों से आहत हैं जो नहीं होनी चाहिए थी। ...लेकिन उन लोगों ने जो किया वह गलत है.’
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घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति केटी थॉमस ने कहा कि इस विषय को बहुत ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि कॉलेजियम के चार वरिष्ठ जज आगे आए और अपनी बात रखी. उन्होंने अतीत में कॉलेजियम का हिस्सा रह चुके होने को याद करते हुए कहा कि उनसे (कॉलेजियम सदस्यों से) प्रधान न्यायाधीश हर अहम मुद्दों पर हमेशा ही परामर्श किया करते थे.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एन संतोष हेगड़े ने कहा कि वह इस घटनाक्रम से काफी निराश हैं, जिसने न्यायपालिका को ‘‘अपूर्णीय क्षति’’ पहुंचाई है. , उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज होने के नाते मैं काफी निराश महसूस कर रहा हूं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘कहीं ना कहीं, उन लोगों का उद्देश्य उचित है, (लेकिन) वे लोग मीडिया में जा कर जो राहत मांग रहे हैं... वह गलत है. न्यायपालिका को हमेशा से ही एक परिवार माना जाता रहा है.’उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में बहुत दुखी महसूस कर रहा हूं। मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि वे लोग (चार जज) कई चीजों से आहत हैं जो नहीं होनी चाहिए थी। ...लेकिन उन लोगों ने जो किया वह गलत है.’
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