
- तालिबान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत दौरे पर सहारनपुर के देवबंद कस्बे का भी दौरा करेंगे.
- 11 अक्टूबर को मुत्तकी विश्व प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद का दौरा करेंगे.
- दारुल उलूम प्रबंधन ने मुत्तकी के स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी हैं और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान शासन के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत दौरे पर हैं. अपनी यात्रा के दौरान मुत्तकी सहारनपुर के देवबंद कस्बे का भी दौरा करेंगे. 11 अक्टूबर को मुत्तकी विश्व प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम का दौरा करेंगे और दारुल उलूम प्रबंधन से मुलाकात करेंगे. उनके दौरे की सूचना मिलते ही दारुल उलूम प्रबंधन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं और खुफिया विभाग भी हाई अलर्ट पर है.
अफगानिस्तान में तालिबान शासन की स्थापना के बाद विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी पहली बार भारत दौरे पर आए हैं. दारुल उलूम देवबंद को उनके आगमन की सूचना मिल गई है. विदेश मंत्री मुत्तकी 11 अक्टूबर को देवबंद पहुंचेंगे और सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक दारूल उलूम में समय बितायेंगे. इस्लामी शिक्षा के विश्व प्रसिद्ध केंद्र दारुल उलूम में कुछ प्रमुख मौलाना भी बुलाए गए हैं.
मुत्तकी के दौरे से पहले दारुल उलूम प्रबंधन ने उनके स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी हैं. संस्थान में सफाई और नवीनीकरण का काम शुरू हो गया है और मुत्तक़ी के स्वागत के लिए परिसर स्थित विशाल गोलाकार पुस्तकालय में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया है.
मुत्तकी इस दौरे में दारूल उलूम का परिसर घूमकर देखेंगे. उनके साथ मौलाना अरशद मदनी मौजूद रहेंगे. इस दौरान तालिबान के नेता और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी का संबोधन भी होगा. मुत्ताकी का भाषण उर्दू भाषा के होगा. इस कार्यक्रम में कुछ प्रमुख मौलाना भी बुलाए गए हैं.
देवबंद क्यों है विश्वविख्यात?
- देवबंद की सबसे बड़ी पहचान यहां स्थित दारुल उलूम देवबंद नामक इस्लामी शिक्षण केंद्र है. यह संस्थान केवल एक मदरसा नहीं है, बल्कि एक वैश्विक इस्लामी शैक्षिक शक्ति केंद्र के रूप में विख्यात है.
- दारुल उलूम देवबंद सिर्फ़ धार्मिक शिक्षा नहीं देता, बल्कि यह देवबंदी विचारधारा (आंदोलन) का जन्मस्थान भी रहा है. इसने भारतीय उपमहाद्वीप के मुस्लिमों की धार्मिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राजनीतिक सोच को भी गहराई से आकार दिया है.
- इसकी स्थापना 31 मई 1866 को मौलाना मुहम्मद कासिम नानोत्वी, हाजी आबिद हुसैन और कुछ अन्य प्रतिष्ठित विद्वानों ने की थी. संस्था की शुरुआत देवबंद की एक पुरानी मस्जिद, मस्जिद छत्ता, से हुई थी.
देवबंद का प्राचीन इतिहास
- देवबंद का इतिहास केवल इस्लामी शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्राचीन नगर भी है जिसकी जड़ें हिंदू धर्मग्रंथों से जुड़ी हैं.
- माना जाता है कि देवबंद का पुराना नाम 'द्वैतवन' था. इस नाम का संदर्भ महाभारत काल के ग्रंथों में भी मिलता है. यह दर्शाता है कि यह स्थान सदियों से अस्तित्व में है.
- यह शहर धार्मिक विविधता का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है. यहाँ मां बाला सुंदरी देवी मंदिर स्थित है, जो हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है.
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