हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने उत्तर प्रदेश (UP) की बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाली सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि, जहां कांवड़ियों (Kanwariyas) का फूलों की बारिश करके स्वागत किया जाता है, वहीं मुसलमानों के घरों को तोड़ा जाता है. संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, "आप करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने के लिए कर रहे हैं, बहुत अच्छा. हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि हम पर भी दया करो, हमारे साथ समान व्यवहार करो. अगर आप उन पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घरों को तो मत तोड़ो."
असदुद्दीन ओवैसी की यह टिप्पणी उन वायरल वीजुअल्स के सामने आने के बाद आई है जिनमें मेरठ के पुलिस प्रमुख और जिला मजिस्ट्रेट कांवड़ियों पर फूलों की पंखुड़ियों की बौछार करते हुए दिखाई दे रहे हैं. साथ ही हापुड़ में एक तस्वीर में एक पुलिस इंस्पेक्टर एक कांवड़िया के पैरों पर दर्द निवारक स्प्रे लगाते हुए नजर आया है.
ओवैसी ने कहा, "अच्छा है कि आप उनके पैरों की मालिश कर रहे हैं, लेकिन फिर आप सहारनपुर में एक मुस्लिम युवक को ले जाकर पीटते हैं. भेदभाव मत कीजिए. संविधान इसकी इजाजत नहीं देता."
यह पूछे जाने पर कि क्या वह लखनऊ के लुलु मॉल के पास नमाज को लेकर विवाद का जिक्र कर रहे हैं? ओवैसी ने जवाब दिया, "हम जानना चाहते हैं कि वहां नमाज पढ़ने वाले, उस दिशा में मुंह करके किस भगवान की पूजा कर रहे थे? और उन्होंने 18 सेकंड में नमाज पूरी की!"
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख ने बीजेपी के उस आरोप पर पलटवार किया जिसमें कहा गया था कि उनकी राजनीति "विभाजनकारी" है.
इससे पहले हैदराबाद के सांसद ने अपने ट्विटर हैंडल से कांवड़ियों पर खबरें शेयर कीं और पूछा, "एक धर्म के लिए ट्रैफिक डायवर्जन और दूसरे के लिए बुलडोजर की कार्रवाई. ऐसा क्यों?"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "रेवड़ी संस्कृति" पर कड़ी चोट करते हुए ओवैसी ने पूछा कि क्या कांवड़ियों का इलाज "रेवड़ी संस्कृति" के बराबर नहीं है? उन्होंने कहा, "क्या यह रेवड़ी संस्कृति नहीं है? अगर कोई मुसलमान कुछ मिनटों के लिए खुले में नमाज पढ़ता है, तो तबाही मच जाती है. सिर्फ अपने धर्म के लिए, मुसलमानों को गोलियां, हिरासत में यातना, एनएसए, यूएपीए, लिंचिंग और बुलडोजर का सामना करना पड़ रहा है."
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