मध्यप्रदेश के जबलपुर में अस्पताल में लगी आग के मामले में सरकारी और प्रशासनिक लापरवाही खुलकर सामने दिखाई दे रही है. 8 महीने पहले भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत से भी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है. उधर जबलपुर में कल सीएमएचओ ने 52 अस्पतालों में नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगाया था लेकिन दो घंटे में उनके ही दफ्तर आने पर रोक लग गई यानी वो निलंबित हो गये.
जबलपुर में 8 बेगुनाहों की मौत के बाद कई शहरों और राजधानी भोपाल में स्वास्थ्य विभाग और दमकल के कर्मचारी साझा टीम बनाकर अस्पतालों का मुआयना कर रहे हैं. फायर डिपार्टमेंट की तरफ से एनओसी तो दे दिया गया था लेकिन अब देखने चले हैं कि अस्पताल शर्तों का पालन कर रहे हैं या नहीं. डॉ कृष्णचंद रायकवार, डीएसओ, ने कहा,”हम सरकार के आदेश पर जा रहे हैं… देख रहे हैं कि फायर सेफ्टी के मेजर उठाए गए हैं या नहीं....सभी को खुद को चाकचौबंद रखना चाहिए.”
उधर जबलपुर में मौत के बाद भी मज़ाक चल रहा है. कलेक्टर कार्यालय में घंटों अस्पताल मालिकों और डॉक्टरों को बुलाकर पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया जा रहा है. बहरहाल, अस्पताल में लगी आग के बाद मंगलवार शाम 7.39 पर सीएमएचओ की तरफ से 52 अस्पतालों में नये मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगी और पुराने मरीजों को शिफ्ट करने को कहा गया.
रात 8.43 पर संशोधित लिस्ट जारी की गई और करीबन 18 मिनट बाद 9.03 मिनट पर कहा गया मीडिया फिलहाल इस लिस्ट को ना दिखाये. रात 10 बजे के आसपास सीएमएचओ के ही निलंबन का आदेश आ गया. सरकार कह रही है उन्होंने ऐसा निर्देश नहीं दिया, वहीं कांग्रेस का आरोप है सरकार फर्जी अस्पतालों को बचा रही है.
विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, कहते हैं,”यहां से इस तरह का कोई निर्णय नहीं लिया गया.. ये निर्देश दिये गये हैं कि अस्पतालों का संचालन पूरे सेफ्टी नॉर्म्स के साथ हो.. सीएमएचओ को सस्पेंड किया गया है और ऑडिट के जो सर्टिफिकेशन दिये थे उनको भी सस्पेंड किया गया है.” वहीं कांग्रेस सरकार को इस मुद्दे पर घेरने का मन बना चुकी है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा,”अस्पताल में आग लगने से मौत की संख्या बढ़ती जा रही है, जबलपुर में आग लगी.. सीएमएचओ ने जांच का आदेश निकाला… सरकार ने आदेश वापल से लिया… क्या इस तरह से हत्यारे अस्पतालों को बचाया जाएगा ये कहकर कि आदेश गलत निकल गया. मंत्री ये बताएं कि मशरूमिंग कैसे हो रही है उसका जवाब मंत्री को देना चाहिये.”
दूसरा मज़ाक, मध्यप्रदेश में फायर सेफ्टी एक्ट अबतक लागू नहीं हुआ है..फायर सेफ्टी ऑफिसर बिना किसी अधिकार के सिर्फ नोटिस जारी करते हैं या कमी पाई जाने पर संबंधित विभाग को सूचना देते हैं. महाराष्ट्र, हरियाणा, यूपी जैसे राज्यों में ये एक्ट लागू है लेकिन हाईकोर्ट, मानवाधिकार आयोग की फटकार के बावजूद यह फायर सेफ्टी एक्ट मध्यप्रदेश में नहीं है.
सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा कहते हैं,”कैग ने आपत्ति उठाई थी... मप्र में सबसे वीक पोजिशन उठाई थी.. हमारे प्रश्न को संज्ञान लेते हुए विधानसभा में प्रश्न उठा था..जबलपुर में देख लीजिये गैरइरादतन हत्या का मामला है जो सिद्ध करना कठिन है... मुआवजे की कोई बात नहीं है... एक्ट होता तो प्रावधान होता.”
इधर, फरार अस्पताल के फरार मालिकों में से एक डॉ संतोष सोनी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. डॉ सोनी बीएएमएस हैं लेकिन एलोपैथी अस्पताल चला रहे थे.
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