Farmers' Protests : सरकार ने किसानों को दिया लिखित में प्रस्ताव, किसान करेंगे विचार-विमर्श.
केंद्र सरकार ने किसान नेताओं को एक लिखित प्रस्ताव दिया है, जिसमें कहा गया है कि नए कृषि कानूनों में MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य बना रहेगा. वहीं, किसानों की ओर से मांग की गई है कि सरकार इन कानूनों को ही वापस ले. किसान संगठनों ने कहा था कि वो सरकार की ओर से आए हुए प्रस्ताव पर फैसला लेंगे. इसके पहले मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह ने भी किसान नेताओं के साथ एक मीटिंग बुलाई थी लेकिन वो भी बेनतीजा रही. किसान सख्ती से अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि सरकार के लिखित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद ही अगले कदम पर फैसला लिया जाएगा.
अब तक के अपडेट्स
केंद्र सरकार ने किसानों को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें लिखित में उन संशोधनों का जिक्र किया गया है, जिन्हें सरकार लाना चाहती है. सरकार ने मंडी सिस्टम और APMC एक्ट में भी बड़े बदलाव करने का भरोसा दिया है.
सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक, Electricity (Amendment) Bill 2020 को नहीं लाया जाएगा. किसानों ने कहा था कि यह कानून उनके हित के खिलाफ है, जबकि सरकार की दलील थी कि वो शक्ति के बंटवारे को मॉनिटर करने के लिए यह कानून ला रही थी.
इसके पहले सूत्रों ने बताया था कि केंद्र सरकार किसान नेताओं को अपने कानूनों में संशोधन के साथ लिखित में प्रस्ताव दे सकती है. सूत्रों ने बताया कि मंडी सिस्टम और APMC (Agricultural Produce Marketing Committee) कानून में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं.
MSP को लिखित में देने के लिए तैयार हुई सरकार ने इस प्रस्ताव में कहा है कि वो बिजली संशोधन विधेयक में भी कोई बदलाव नहीं करेगी. वहीं, किसानों को सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प दिया जा सकता है.
इसमें कहा गया है कि व्यापारी के पंजीकरण के लिए नियम बनाने की राज्य सरकार को शक्ति प्रदान की जा सकती है. इसके अलावा अधिनियम में संशोधित कर प्रावधान लाया जा सकता है कि राज्य सरकार निजी मंडियों की रजिस्ट्रेशन को लागू कर सके.
किसान नेताओं की सिंघु बॉर्डर पर एक मीटिंग हुई है. किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 'हम मीटिंग में अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं और केंद्र के प्रस्ताव पर फैसला लेंगे. किसान वापस नहीं जाएंगे. ये उनके सम्मान का विषय है. क्या सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेगी? क्या निरंकुशता दिखाई जाएगी? अगर सरकार जिद्दी है तो किसान भी जिद्दी हैं? उन्हेें कानूनों को वापस लेना ही होगा.'
संभावना है कि 24 राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर सकते हैं. इस मंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, नेशनलिस्ट कांग्रेस चीफ शरद पवार, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा और टीआर बालू के होने की संभावना है.
आज टिकरी बॉर्डर पर भी हरियाणा और पंजाब के किसान संगठन के नेताओं के बीच बड़ी बैठक होनी थी, जिसमें हरियाणा के उन किसान संगठनों पर चर्चा की जानी थी, जिन्होंने सरकार से मिलकर कृषि बिल के लिए धन्यवाद दिया था.
मंगलवार की शाम 7 बजे गृहमंत्री अमित शाह ने किसान संगठन के नेताओं को मुलाकात की थी, जिसमें कई राकेश टिकैत सहित कई बड़े किसान नेता शामिल हुए थे. हालांकि, यह बैठक भी बेनतीजा रही. किसानों की तरफ से मीटिंग के बाद आज की बातचीत को टालने का संकेत दिया गया. गृहमंत्री से मीटिंग के बाद बाहर आए किसान नेताओं ने कहा था कि अब बुधवार को प्रस्तावित बैठक में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता. इन नेताओं ने कहा कि सरकार के लिखित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद ही अगले कदम पर निर्णय लिया जाएगा.
जानकारी है कि कल की मीटिंग में भी वही सब हुआ, जो पिछली बातचीत में होता आ रहा है. बैठक में किसानों ने तीनों बिलों को रद्द करवाने की मांग दोहराई, वहीं, सरकार ने भी कानूनों में संशोधन करने का अपना प्रस्ताव दोहराया.