कर्नाटक में किसानों का एक समूह तमिलनाडु को कावेरी का पानी दिए जाने के आदेश के विरोध में रात भर हाथों में मोमबत्ती लिए धरने पर बैठा रहा. श्रीरंगपट्टनम के पास मांड्या में विरोध प्रदर्शन बुधवार सुबह शुरू हुआ. किसान कावेरी जल विनियमन समिति की उस सिफारिश से नाराज हैं जिसमें ये कहा गया है कि कर्नाटक 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को 5000 क्यूसेक पानी छोड़े.
कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक दर्शन पुत्तनैया विरोध में शामिल हुए. इधर, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कावेरी जल मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्ली जाने की योजना बनाई है. तमिलनाडु सुप्रीम कोर्ट गया है, जो कर्नाटक को पानी छोड़ने का निर्देश देने की राज्य की याचिका पर सुनवाई करेगा.
कर्नाटक ने एक हलफनामा दायर कर दावा किया है कि ट्रिब्यूनल का आदेश इस धारणा पर आधारित था कि राज्य में यह सामान्य मानसून था, जो कि नहीं था. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य पानी छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता, क्योंकि इससे जलाशय खाली हो जाएंगे और पीने के पानी की कमी हो जाएगी.
पीटीआई के अनुसार डीके शिवकुमार ने कहा, "मैं अपनी कानूनी टीम से मिलने के लिए कल दिल्ली जा रहा हूं. सुनवाई (कावेरी जल पर तमिलनाडु की याचिका पर) शुक्रवार को होगी. तमिलनाडु द्वारा 24-25 टीएमसी की मांग के बाद हमारे विभाग के अधिकारियों ने बहुत अच्छी तरह से तर्क दिया है. हमने कहा कि हम 3,000 क्यूसेक दे सकते हैं."
उन्होंने कहा,"हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि अदालत को राज्य की स्थिति समझाकर हम (तमिलनाडु को छोड़े जाने वाले पानी को) कितना कम कर सकते हैं। हम नहीं चाहते कि चाबियां किसी और को सौंपी जाएं। फिलहाल चाबियां हमारे पास हैं , और हमें अपने किसानों की सुरक्षा करनी होगी,"
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