गाजीपुर बार्डर पर किसानों की संख्या ही नहीं राशन की आमद भी धीरे-धीरे इतनी बढ़ रही है कि इसे रखने में दिक्कत आ रही है. उप्र के गाजीपुर बार्डर पर अनाज से भरी ट्रालियां खड़ी होने और मौसम की मार के चलते अनाज खराब होने का डर है. गाजीपुर बार्डर सैकड़ों कुंतल अनाज कहां आ रहा है और क्यों ये किसानों की सिरदर्दी बढ़ा रहा है इस बारे में हमारे सहयोगी ने विस्तृत रूप में जानकारी हासिल करने की कोशिश की.
किसान नेता देवेंद्र तेवतिया गाजीपुर बार्डर पर ट्रैक्टर ट्रालियों में भरा अनाज दिखा रहे हैं. ट्रालियां ही नहीं सड़क पर बने किसानों के अनाज के स्टोर में गांव-गांव से आई इस तरह के अनाज के कट्टे किसान लगातार भेज रहे हैं. दूरदराज गांव से अब बड़ी तादात में अनाज आने से खराब होने की आशंका बढ़ गई है इसी के चलते अनाज अब ट्रकों में भरकर दूसरी जगह पहुंचाया जा रहा है.किसान माइक से एनाउंस कर रहे हैं कि बागपत के गांव फखरपुर से तीन कुंतल खीर आई है कृपया किसान आ जाए.
उप्र के आसपास के जिलों से तै़यार खाना भी ट्रैक्टर ट्रालियों में आ रहा है इसीलिए ये राशन बच रहा है. गाजीपुर बार्डर पर सहदेव सिंह करीब साठ किमी दूर बागपत से तीन कुंतल खीर बनाकर लाए है. गांव की इस देसी खीर में एक बड़ी खासियत है ये जब मैंने खाई तब पता चला.
जिस तरह देश के अलग-अलग इलाकों से किसान आ रहे हैं. वैसे ही अपना खान-पान भी ला रहे हैं. इस खीर में न शक्कर है न गुड़. इसमें तीन लीटर गन्ने का ताजा रस पड़ा है उसी से बना है.
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फखरपुर के किसान सहदेव सिंह ने कहा, ''यहां किसान पड़े हैं तो हमने सोचा कि ढ़ाई तीन कुंतल रस की खीर बनवा दें. किसान माइक से घोषणा कर रहे हैं सहारनपुर जिले से दो कुंतल रसगुल्ले आए हैं किसान भाई खाएं.''
किसान आंदोलन का जैसे-जैसे समय बढ़ रहा है वैसे-वैसे किसानों की तादात ही नहीं बल्कि अनाज और खाने पीने के सामान की आमद बढ़ना सरकार के लिए चिंता और किसानों का उत्साह बढ़ाने वाली बात साबित हो रही है.
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