किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर विदेशी जगत में भी सुर्खियां बनने के बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने सरकार और प्रदर्शनकारियों से अत्यधिक संयम बरतने की अपील की है. संस्था ने (UN Human Rights Office) हालांकि इंटरनेट पर पाबंदियों को लेकर कहा, "ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठा होने और अपनी बात रखने के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए.
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मानवाधिकार मामलों में संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के कार्यालय (United Nations High Commissioner for Human Rights) की ओर से यह कहा गया. मानवाधिकार का सम्मान करते हुए मुद्दे का उचित समाधान खोजने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है." किसानों का कहना है कि इन कानूनों का साफ मतलब है कि फसलों पर लंबे समय से मिलते आ रही न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और किसानों को कारपोरेट घरानों के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा. लिहाजा इन कानूनों को पूरी तरह से वापस लिया जाए.
#India: We call on the authorities and protesters to exercise maximum restraint in ongoing #FarmersProtests. The rights to peaceful assembly & expression should be protected both offline & online. It's crucial to find equitable solutions with due respect to #HumanRights for all.
— UN Human Rights (@UNHumanRights) February 5, 2021
जबकि सरकार का कहना है कि ये कृषि क्षेत्र से लंबे समय से लटके सुधार हैं और इससे किसानों के लिए नए बाजार और नए अवसर पैदा होंगे. सरकार ने कानूनों पर अमल को कुछ वक्त तक के लिए निलंबित करने जैसे प्रस्ताव किसानों को दिए हैं, लेकिन इन्हें पूरी तरह से वापस लेने की मांग ठुकरा दी है. उसने सुरक्षा के नाम पर दिल्ली की सीमाओं पर इंटरनेट बंद कर दिया है. साथ ही प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बाड़बंदी और कीलें लगा दी हैं.
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