केंद्र सरकार ने सभी पूर्व सांसदों को अपना सरकारी बंगला खाली करने को कहा है. ज्यादातर बंगले लुटियन जोन इलाके में हैं. इसके लिए पूर्व सांसदों को सात दिन का समय दिया गया है. हाउसिंग कमेटी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने बताया कि सांसदों को बंगला खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है. साथ ही तीन दिनों के बाद अधिकारियों को इन आवासों की बिजली और पानी की आपूर्ति रोकने के लिए भी कहा गया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि 16वीं लोकसभा के भंग होने के दो महीने बाद, 200 से अधिक पूर्व सांसदों को लुटियंस दिल्ली में अपने आधिकारिक बंगले खाली करने हैं.
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When a new session of Parliament begins, newer MPs face lot of trouble as far as finding accommodation is concerned. I am glad efforts have been made to overcome this problem. Being MP means people from the constituency come too and they too may need accommodation: PM
— PMO India (@PMOIndia) August 19, 2019
पीएम मोदी ने भी सोमवार शाम को ट्वीट कर नए सांसदों को होने वाली परेशानियों के बारे में बताया. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'जब संसद का नया सत्र शुरू होता है, तो नए सांसदों को आवास के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मुझे खुशी है कि इस समस्या को दूर करने के प्रयास किए गए हैं. सांसद होने का मतलब है कि निर्वाचन क्षेत्र के लोग भी आते हैं और उन्हें भी आवास की आवश्यकता हो सकती है. कुछ इमारतों का इंफ्रास्ट्रक्चर भी ठीक नहीं है और मुझे बताया गया है कि इसे अपग्रेड करने के लिए काम किया जा रहा है. यह एक स्वागत योग्य संकेत है.
लुटियंस दिल्ली में 200 पूर्व सांसदों ने अब तक खाली नहीं किये सरकारी बंगले
नियमों के अनुसार पूर्व सांसदों को पिछली लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर अपने-अपने बंगलों को खाली करना होता है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर 16वीं लोकसभा को 25 मई को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था. एक सूत्र ने बताया, 'लोकसभा के 200 से अधिक पूर्व सांसदों ने अब तक अपने सरकारी बंगलों को खाली नहीं किया है. इन सांसदों को 2014 में ये बंगले आवंटित किये गए थे.'
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मिली जानकारी के अनुसार इन नवनिर्वाचित सांसदों को वेस्टर्न कोर्ट में अस्थायी आवास उपलब्ध कराये गए हैं और जब तक उन्हें लुटियंस दिल्ली में पूर्णकालिक आवास आवंटित नहीं किया जाता, तब तक कई अतिथि गृह हैं. ऐसा सांसदों के आवास की लागत को कम करने के लिए किया गया है. इससे पहले, नव-निर्वाचित सांसद पांच-सितारा होटलों में तब तक रुकते थे, जब तक उन्हें एक पूर्णकालिक सरकारी बंगला आवंटित नहीं किया जाता था.
(इनपुट: भाषा से भी)
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