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This Article is From Oct 02, 2018

राम बहुसंख्यक आबादी के इष्टदेव, विपक्षी पार्टियां भी खुलकर अयोध्या में मंदिर का विरोध नहीं कर सकती : मोहन भागवत

अयोध्या विवाद की सुनवाई इस समय सुप्रीम कोर्ट में हो रही है. माना जा रहा है प्रधान न्यायाधीश रहते दीपक मिश्रा इस पर अपना फैसला सुना देंगे लेकिन वह रिटायर हो गए हैं.

राम बहुसंख्यक आबादी के इष्टदेव, विपक्षी पार्टियां भी खुलकर अयोध्या में मंदिर का विरोध नहीं कर सकती : मोहन भागवत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हरिद्वार में पतंजलि के एक कार्यक्रम में यह बयान दिया है.
हरिद्वार: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि विपक्षी पार्टियां भी अयोध्या में राम मंदिर का खुलकर विरोध नहीं कर सकती क्योंकि वह देश की बहुसंख्यक जनसंख्या के इष्टदेव हैं. भागवत ने सोमवार को पतंजलि योगपीठ में संघ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राममंदिर निर्माण के प्रति संघ और भाजपा की प्रतिबद्धता जाहिर की. साथ ही यह भी कहा कि कुछ कार्यों को करने में समय लगता है. उन्होंने कहा, 'कुछ कार्य करने में देरी हो जाती है और कुछ कार्य तेजी से होते हैं वहीं कुछ कार्य हो ही नहीं पाते क्योंकि सरकार में अनुशासन में ही रहकर कार्य करना पड़ता है. सरकार की अपनी सीमायें होती हैं.'  संघ प्रमुख ने कहा कि साधु और संत ऐसी सीमाओं से परे हैं और उन्हें धर्म, देश और समाज के उत्थान के लिये कार्य करना चाहिए. यहां 'साधु स्वाध्याय संगम' को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, "विपक्षी पार्टियां भी अयोध्या में राम मंदिर का खुल कर विरोध नहीं कर सकतीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि वह (भगवान राम) बहुसंख्यक भारतीयों के इष्टदेव हैं.' 

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हालांकि, उन्होंने कहा, 'सरकार की सीमाएं होती हैं. देश में अच्छा काम करने वाले को कुर्सी पर बना रहना पड़ता है. मगर देश में यह वातावरण है कि यह काम नहीं हुआ तो कुर्सी तो जायेगी. कुर्सी पर बैठा कौन है, यह महत्त्वपूर्ण है.' इस मौके पर दिये अपने संबोधन में योगगुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि जहां मंत्री और अमीर लोग अक्सर विफल हो जाते हैं वहां साधु सफल होते हैं. उन्होंने कहा, '’देश का वजीर और अमीर साधु संतों की उपेक्षा कर रहे हैं. हमको इन वजीरों और अमीरों से कोई आशा नहीं है. जो काम वजीर और अमीर नहीं कर पाते वह काम साधु संत करने में सक्षम हैं. '’

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गौरतलब है कि अयोध्या विवाद की सुनवाई इस समय सुप्रीम कोर्ट में हो रही है. माना जा रहा है प्रधान न्यायाधीश रहते दीपक मिश्रा इस पर अपना फैसला सुना देंगे लेकिन वह रिटायर हो गए हैं. हालांकि उन्होंने इसी मुद्दे से संबंधित एक फैसला दिया है जिसमें कहा गया है कि मस्जिद में नमाज इस्लाम का अहम हिस्सा नहीं है. 
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