![इंजीनियरिंग के छात्र ने किया सुरक्षाबलों की बुलेट प्रूफ जैकेट को हल्का बनाने का दावा इंजीनियरिंग के छात्र ने किया सुरक्षाबलों की बुलेट प्रूफ जैकेट को हल्का बनाने का दावा](https://i.ndtvimg.com/i/2016-03/kashmir-security-650_650x400_51457798264.jpg?downsize=773:435)
प्रतीकात्मक तस्वीर
लखनऊ:
कई बार ये सुनने को मिलता है कि बुलेट प्रुफ जैकेट का वजन अधिक होने की वजह से सुरक्षाबलों को परेशानियां होती हैं. मगर इंजीनियरिंग के एक छात्र ने सुरक्षा बलों की बुलेट प्रूफ जैकेट को हल्का बनाने का दावा किया है. दरअसल, उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक निजी विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग शाखा के छात्र ने भारतीय सुरक्षा बलों के प्रयोग में लाई जाने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट को और भी ज्यादा हल्का बनाने का दावा किया है.
आईआईटी रुड़की में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस के अवसर पर ‘मटीरियल्स टुडे : प्रोसीडिंग्स’ शीर्षक से इससे संबंधित शोध का संपूर्ण विवरण प्रकाशित किया गया है. विवि के इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने बताया, ‘यह कारनामा एमटेक फाइनल के छात्र आदर्श शर्मा ने किया है. उसने अपने प्रयोग के माध्यम से सुरक्षाबलों के बुलेट प्रूफ जैकेट में प्रयोग हो रहे केबलर की जगह स्पाइडर सिल्क का प्रयोग करने का सुझाव दिया.’
यह भी पढ़ें - सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, सुकमा में हथियारों के जखीरे के साथ 12 नक्सली गिरफ्तार
उन्होंने बताया, ‘शर्मा के अनुसार केबलर तरल रासायनिक मिश्रण से तैयार एक ठोस धागा होता है जिसे कताई द्वारा उत्पादित किया जाता है. यह वजन में काफी भारी होता है. जबकि स्पाइडर सिल्क एक मकड़ी का जाल होता है, जिसे एकत्रित कर विभिन्न कपड़ों में केबलर की तरह ही प्रयोग किया जा सकता है. इससे जैकेट का वजन काफी कम हो जाएगा.
प्रो. सिंघल ने बताया, ‘आदर्श का यह शोधपत्र अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल किए गए सभी शोधपत्रों की ‘टॅाप टेन सूची’ में शामिल किया गया है.’ उन्होंने बताया कि ब्रिटेन से प्रकाशित एक इंजीनियरिंग जर्नल ने भी अपने अगले अंक में प्रकाशित करने की इच्छा प्रकट की है.
VIDEO : जैश का कमांडर नूर मोहम्मद ढेर (इनपुट भाषा से)
आईआईटी रुड़की में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस के अवसर पर ‘मटीरियल्स टुडे : प्रोसीडिंग्स’ शीर्षक से इससे संबंधित शोध का संपूर्ण विवरण प्रकाशित किया गया है. विवि के इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने बताया, ‘यह कारनामा एमटेक फाइनल के छात्र आदर्श शर्मा ने किया है. उसने अपने प्रयोग के माध्यम से सुरक्षाबलों के बुलेट प्रूफ जैकेट में प्रयोग हो रहे केबलर की जगह स्पाइडर सिल्क का प्रयोग करने का सुझाव दिया.’
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उन्होंने बताया, ‘शर्मा के अनुसार केबलर तरल रासायनिक मिश्रण से तैयार एक ठोस धागा होता है जिसे कताई द्वारा उत्पादित किया जाता है. यह वजन में काफी भारी होता है. जबकि स्पाइडर सिल्क एक मकड़ी का जाल होता है, जिसे एकत्रित कर विभिन्न कपड़ों में केबलर की तरह ही प्रयोग किया जा सकता है. इससे जैकेट का वजन काफी कम हो जाएगा.
प्रो. सिंघल ने बताया, ‘आदर्श का यह शोधपत्र अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल किए गए सभी शोधपत्रों की ‘टॅाप टेन सूची’ में शामिल किया गया है.’ उन्होंने बताया कि ब्रिटेन से प्रकाशित एक इंजीनियरिंग जर्नल ने भी अपने अगले अंक में प्रकाशित करने की इच्छा प्रकट की है.
VIDEO : जैश का कमांडर नूर मोहम्मद ढेर (इनपुट भाषा से)
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