नई दिल्ली:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हाल ही में अपने रिश्तों में गर्माहट लाने वाले ब्रिटेन ने गुरुवार को कहा कि उनके साथ संपर्क का मतलब उनका समर्थन करना नहीं है।
ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स बेवन ने कहा कि उन्हें उनसे या उनके अतीत से कोई लेना-देना नहीं है और (मोदी के साथ) किसी तरह के संपर्क का मतलब उनका समर्थन करना नहीं है।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान के बाद बेवन ने वहां मौजूद एक समूह के साथ बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। ध्यान रहे कि ब्रिटेन के दो मुख्य राजनीतिक दल-लेबर पार्टी और कंजरवेटिव पार्टी ने मोदी को ‘‘आधुनिक भारत के भविष्य’’ पर बोलने के लिए लंदन बुलाया है।
इस बारे में पूछने पर बेवन ने कहा, ‘‘यह एक निजी निमंत्रण है जो गुजरात के मुख्यमंत्री को ब्रिटिश संसद के सदस्यों द्वारा दिया गया। ब्रिटिश संसद के सदस्य जिसे बुलाना चाहें उसे बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि अगर मोदी ने वीजा के लिए आवेदन किया तो क्या उन्हें वीजा दिया जाएगा, उन्होंने सीधे कोई जवाब देने से इनकार कर दिया और कहा, ‘‘यह काल्पनिक स्थिति है और मैं इसका जवाब नहीं देना चाहता।’’
गुजरात में 2002 के गोधरा कांड के बाद के दंगों के बाद ब्रिटेन ने नरेंद्र मोदी का बहिष्कार कर दिया था, जिसे पिछले वर्ष समाप्त किया गया।
इस वर्ष के शुरू में यूरोपीय संघ ने भी दंगों के मुद्दे पर मोदी का एक दशक पुराना बहिष्कार समाप्त कर दिया था, जब यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने यहां मोदी के लिए एक भोज आयोजित किया था।
ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स बेवन ने इस बात पर भी जोर दिया कि 2002 के गुजरात दंगों में तीन ब्रिटिश नागरिक भी मारे गए थे और उनका देश उनके लिए ‘‘न्याय’’ चाहता है।
दूत ने कहा, ‘‘हमारी भी मानव अधिकार चिंताएं हैं। ब्रिटेन के तीन नागरिक भी दंगों में मारे गए थे और हम उनके लिए मुकदमा और न्याय चाहते हैं। हमारे उद्देश्य की पूर्ति के लिए उनसे संवाद करना बेहतर होगा।’’
पिछले अक्तूबर में मोदी के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए बेवन ने कहा कि वह एक कूटनीतिक भेंट भी और उनसे संवाद का मतलब उनका समर्थन नहीं है।
जामिया मिलिया इस्लामिया में एक परिचर्चा के बाद बातचीत के दौरान बेवन ने कहा, ‘‘पिछले अक्तूबर में मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ बातचीत की थी और देश के महत्वपूर्ण लोगों को जानना अच्छा होता है। मैं यहां अपना काम करने आया हूं और यह जरूरी नहीं कि आप जिससे संपर्क करें उसका समर्थन भी करते हों।’’
ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स बेवन ने कहा कि उन्हें उनसे या उनके अतीत से कोई लेना-देना नहीं है और (मोदी के साथ) किसी तरह के संपर्क का मतलब उनका समर्थन करना नहीं है।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान के बाद बेवन ने वहां मौजूद एक समूह के साथ बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। ध्यान रहे कि ब्रिटेन के दो मुख्य राजनीतिक दल-लेबर पार्टी और कंजरवेटिव पार्टी ने मोदी को ‘‘आधुनिक भारत के भविष्य’’ पर बोलने के लिए लंदन बुलाया है।
इस बारे में पूछने पर बेवन ने कहा, ‘‘यह एक निजी निमंत्रण है जो गुजरात के मुख्यमंत्री को ब्रिटिश संसद के सदस्यों द्वारा दिया गया। ब्रिटिश संसद के सदस्य जिसे बुलाना चाहें उसे बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि अगर मोदी ने वीजा के लिए आवेदन किया तो क्या उन्हें वीजा दिया जाएगा, उन्होंने सीधे कोई जवाब देने से इनकार कर दिया और कहा, ‘‘यह काल्पनिक स्थिति है और मैं इसका जवाब नहीं देना चाहता।’’
गुजरात में 2002 के गोधरा कांड के बाद के दंगों के बाद ब्रिटेन ने नरेंद्र मोदी का बहिष्कार कर दिया था, जिसे पिछले वर्ष समाप्त किया गया।
इस वर्ष के शुरू में यूरोपीय संघ ने भी दंगों के मुद्दे पर मोदी का एक दशक पुराना बहिष्कार समाप्त कर दिया था, जब यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने यहां मोदी के लिए एक भोज आयोजित किया था।
ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स बेवन ने इस बात पर भी जोर दिया कि 2002 के गुजरात दंगों में तीन ब्रिटिश नागरिक भी मारे गए थे और उनका देश उनके लिए ‘‘न्याय’’ चाहता है।
दूत ने कहा, ‘‘हमारी भी मानव अधिकार चिंताएं हैं। ब्रिटेन के तीन नागरिक भी दंगों में मारे गए थे और हम उनके लिए मुकदमा और न्याय चाहते हैं। हमारे उद्देश्य की पूर्ति के लिए उनसे संवाद करना बेहतर होगा।’’
पिछले अक्तूबर में मोदी के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए बेवन ने कहा कि वह एक कूटनीतिक भेंट भी और उनसे संवाद का मतलब उनका समर्थन नहीं है।
जामिया मिलिया इस्लामिया में एक परिचर्चा के बाद बातचीत के दौरान बेवन ने कहा, ‘‘पिछले अक्तूबर में मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ बातचीत की थी और देश के महत्वपूर्ण लोगों को जानना अच्छा होता है। मैं यहां अपना काम करने आया हूं और यह जरूरी नहीं कि आप जिससे संपर्क करें उसका समर्थन भी करते हों।’’
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