
प्रवर्तन निदेशालय की मुंबई जोनल ऑफिस ने एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच शुरू की है. यह मामला केयर हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड (CHIL) से जुड़ा है, जिसमें आरोप है कि कंपनी ने 1 मई 2022 को बेहद कम दामों पर ESOP (Employee Stock Option) शेयर जारी किए, जबकि इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने पहले ही इसे मंजूरी देने से मना कर दिया था.
जांच के सिलसिले में CHIL के स्वतंत्र निदेशक और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील प्रताप वेंगुपाल को समन भेजा गया था, ताकि यह समझा जा सके कि आखिर बोर्ड मीटिंग में किस आधार पर ये ESOP जारी किए गए.
हालांकि, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि वेंगुपाल सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हैं. ईडी ने उनके नाम जारी किया गया समन वापस ले लिया है. उन्हें सूचित कर दिया गया है कि अगर भविष्य में किसी दस्तावेज की जरूरत पड़ी, तो वे उसे ईमेल के जरिए उपलब्ध करा सकते हैं.
इसके साथ ही ईडी ने एक सर्कुलर भी जारी किया है, जिसमें साफ कहा गया है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 132 का उल्लंघन करते हुए किसी भी वकील को समन नहीं भेजा जाएगा. अगर किसी विशेष स्थिति में समन भेजना जरूरी हो, तो वह केवल ईडी डायरेक्टर की मंजूरी के बाद ही जारी किया जाएगा.
इससे पहले, IRDAI ने भी 23 जुलाई 2024 को CHIL को निर्देश दिए थे कि जो ESOP अभी अलॉट नहीं हुए हैं, उन्हें रद्द किया जाए और इस नियम के उल्लंघन पर कंपनी पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. यह मामला अब ईडी की निगरानी में है और आगे की जांच जारी है.
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