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TASMAC से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने तमिलनाडु में कई ठिकानों पर की छापेमारी

इससे पहले ED ने 6 मार्च 2025 को भी इसी मामले में छापेमारी की थी. उस दौरान टीम को कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ मिले थे.

TASMAC से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने तमिलनाडु में कई ठिकानों पर की छापेमारी

तमिलनाडु में शराब बिक्री के सरकारी उपक्रम TASMAC से जुड़ी कथित मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय  की छापेमारी जारी है. चेन्नई स्थित ED की टीमें शुक्रवार सुबह से ही तमिलनाडु के कई ज़िलों में कुल 10 ठिकानों पर एक साथ छापे मार रही हैं. यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की जा रही है.

सूत्रों के अनुसार, यह जांच कई FIRs के आधार पर शुरू की गई है, जो कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की कई धाराओं के तहत दर्ज की गई थीं. इस एफआईआर में तीन आरोप लगाए गए हैं. पहला - TASMAC की दुकानों द्वारा MRP से ज़्यादा दाम वसूलना, दूसरा - डिस्टिलरी कंपनियों द्वारा सप्लाई ऑर्डर दिलाने के बदले अधिकारियों को घूस देना और तीसरा ये कि सीनियर अधिकारियों द्वारा ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए रिश्वत लेना.

आपको बता दें कि इससे पहले ED ने 6 मार्च 2025 को भी इसी मामले में छापेमारी की थी. उस दौरान टीम को कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ मिले थे. इनमें ट्रांसफर पोस्टिंग, ट्रांसपोर्ट टेंडर, बार लाइसेंस टेंडर और चुनिंदा डिस्टिलरी कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए इंडेंट ऑर्डर जैसे मामलों से जुड़े सबूत शामिल थे.

TASMAC की ट्रांसपोर्ट टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितता पाई गई है, कई मामलों में बोली लगाने वाले ने आवेदन की आखिरी तारीख से पहले डिमांड ड्राफ्ट भी नहीं बनवाया था. इसके बावजूद टेंडर अलॉट कर दिया गया. कई टेंडर तो सिर्फ एक ही आवेदनकर्ता को दे दिए गए. रिपोर्ट के मुताबिक, TASMAC हर साल ट्रांसपोर्टरों को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान करता है.

अभी तक की जांच में पता चला है कि बार लाइसेंस टेंडर में भी गंभीर गड़बड़ियां की गई हैं. जिन आवेदकों के पास न GST नंबर था, न PAN और न ही कोई वैध KYC दस्तावेज़, उन्हें भी अंतिम टेंडर दे दिया गया. जांच में यह भी सामने आया है कि डिस्टिलरी कंपनियों और TASMAC के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच सीधे संपर्क थे, जिससे डिस्टिलरी कंपनियां मनचाहे ऑर्डर और फ़ायदे लेने में सफल रहीं.

सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि SNJ, Kals, Accord, SAIFL और Shiva Distillery जैसी बड़ी डिस्टिलरी कंपनियों ने बोतल बनाने वाली कंपनियों Devi Bottles, Crystal Bottles और GLR Holding  के साथ मिलकर एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बेहिसाब नकदी पैदा की और अवैध लेन-देन किए.

इस घोटाले में बोतल कंपनियों ने बिक्री आंकड़े फर्जी तरीके से बढ़ाकर डिस्टिलरी कंपनियों को फालतू पेमेंट दिलवाया, जो बाद में कैश में निकालकर घूस के रूप में अधिकारियों तक पहुंचाया गया. इस पूरी साजिश में डिस्टिलरी कंपनियों, बोतल कंपनियों और TASMAC से जुड़े कर्मचारियों और सहयोगियों की भूमिका भी जांच के घेरे में है.

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