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This Article is From Jun 22, 2022

ED ने एम्टा कोल लिमिटेड के प्रमोटरों की 27 करोड़ की संपत्ति को किया अटैच

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोल ब्लॉक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एम्टा कोल लिमिटेड ( EMTA Coal ), के प्रमोटरों के निदेशकों और भागीदारों के संबंधित बैंक खाते, एफडी बैलेंस, म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स समेत 26.93 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच किया है.

ED ने एम्टा कोल लिमिटेड के प्रमोटरों की 27 करोड़ की संपत्ति को किया अटैच

प्रवर्तन निदेशालय (ED) कोल ब्लॉक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एम्टा कोल लिमिटेड ( EMTA Coal ), के प्रमोटरों के निदेशकों और भागीदारों के संबंधित बैंक खाते, एफडी बैलेंस, म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स आदि को कुल मिलाकर 26.93 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्ति को अटैच कर लिया है. प्रवर्तन निदेशालय ने कोल ब्लॉक मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम 2002 के तहत एम्टा कोल लिमिटेड ( EMTA Coal ), के प्रमोटरों उज्ज्वल कुमार उपाध्याय, संगीता उपाध्याय, सुजीत कुमार उपाध्याय और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्ति और उनके खातों को अटैच किया है. 

ईडी ने उपरोक्त कंपनी और अन्य के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 के तहत सीबीआई के द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी. जांच के दौरान पता चला कि 1995-1996 से छह कोयला ब्लॉक, पश्चिम बंगाल में तारा (पूर्व), तारा (पश्चिम), गंगारामचक, बोरजोर, गंगारामचक-भादुलिया और पचवाड़ा (उत्तर), जिन्हें पश्चिम बंगाल सरकार को आवंटित किया गया था. इसके बाद पीएसयू, और बाद में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे रद्द कर दिया गया. आरोप है कि उपरोक्त कंपनी द्वारा संयुक्त उद्यम कंपनी बनाकर अवैध तरीके से खनन किया गया और भारी अवैध लाभ कमाया गया. बता दें कि इससे पहले इस कंपनी की इससे जुड़े लोगों की ईडी ने फरवरी 2022 में 136.48 करोड़ रुपये के बुक वैल्यू वाली अचल और चल संपत्ति को कुर्क किया था. 
 

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हरदीप सिंह और अंकुर खन्ना केस में विशेष अदालत ने लिया संज्ञान

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरदीप सिंह और अंकुर खन्ना के खिलाफ विशेष अदालत (पीएमएलए), मापुसा के समक्ष पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत अभियोजन शिकायत दर्ज की थी. विशेष अदालत ने भी इसका संज्ञान लिया है. ईडी ने अवैध गेमिंग गतिविधियों के लिए गोवा पुलिस द्वारा आईपीसी की विभिन्न धाराओं और गोवा, दमन और दीव सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1976 की धारा 3 और 4 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66-डी के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी और गुप्त नेटवर्क के माध्यम से भारी धन की हेराफेरी की और इस प्रकार सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचाया था. 

ईडी की जांच से पता चला है कि हरदीप सिंह और राहुल खन्ना पीपी पोकर ऑनलाइन गेमिंग ऐप पर 'मिनी-इंडिया' नामक एक यूनियन का संचालन कर रहे थे. उनके संघ के तहत, यह देखा जाता है कि लगभग 25 से 30 क्लब अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं. इन क्लबों के माध्यम से व्यक्तिगत खिलाड़ियों को व्हाट्सएप चैट के माध्यम से पोकर गेमिंग ऐप पीपी पोकर के माध्यम से अवैध दांव लगाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. यह देखा गया है कि उक्त क्लबों/संघों में चल रहे प्रत्येक टेबल पर उक्त क्लबों द्वारा 5% से 10% की दर से कमीशन सृजित किया गया था.

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कमीशन और सट्टेबाजी की राशि का निपटारा अवैध रूप से हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से नकद या अनाम क्रिप्टो खातों के माध्यम से प्रत्येक व्यक्तिगत खिलाड़ी और यूनियन प्रमुख के साथ उनके संबंधित क्लब प्रबंधकों द्वारा किया जाता है. जांच से पता चला है कि हरदीप सिंह और अंकुर खन्ना ने प्रोसीड्स ऑफ क्राइम (पीओसी) को क्रिप्टो खातों के रूप में भी निवेश किया था, जिन्हें ईडी ने ट्रेस किया था.

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