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This Article is From Nov 01, 2019

8 कोर उद्योगों के उत्पादन में आई भारी गिरावट, GST कलेक्शन के आंकड़े भी मायूस करने वाले

नीति आयोग की लैंड पालिसी पर स्पेशल सेल के चेयरमैन रहे अर्थशास्त्री टी हक़ मानते हैं कि अर्थव्यवस्था और कमज़ोर पड़ती जा रही है.

नई दिल्ली:

सरकार के लिए आर्थिक मंदी से उबरने का समय और लंबा होता जा रहा है.अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े मायूस करने वाले हैं. बीते साल के मुक़ाबले इनमें 5.29 फ़ीसदी की गिरावट है जबकि कल ही ख़बर आई कि 8 कोर उद्योगों के उत्पादन में बीते साल के मुक़ाबले 5.2% की कमी आई है. अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 95,380 करोड़ रुपये रह गया है. बेशक, ये सितंबर से ज़्यादा है लेकिन बीते साल अक्टूबर के मुक़ाबले 5.29% कम है. बीते महीनों से जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ से नीचे रहा है. आइए डालते हैं एक नजर

जीएसटी कलेक्शन (अप्रैल से अक्टूबर 2019 तक)

अप्रैल : 113865 करोड़ रुपये

मई : 100289 करोड़ रुपये

जून : 99939 करोड़ रुपये

जुलाई : 102083 करोड़ रुपये

अगस्त : 98202 करोड़ रुपये

सितंबर : 91916 करोड़ रुपये

अक्टूबर : 95380 करोड़ रुपये

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सरकार के लिए बुरी ख़बरें और भी हैं. बीते साल सितंबर के मुक़ाबले इस साल उन 8 उद्योगों का उत्पादन भी 5.2 फ़ीसदी घटा है जिनको बिल्कुल कोर सेक्टर कहा जाता है. 8 में से सात उद्योगों में ये गिरावट दर्ज हुई है. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सितम्‍बर, 2019 में कोयला उत्‍पादन सितम्‍बर, 2018 के मुकाबले 20.5 प्रतिशत घट गया.  इस दौरान प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन 4.9 प्रतिशत और कच्‍चे तेल का उत्‍पादन 5.4 प्रतिशत गिर गया. पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्‍पादों के उत्‍पादन में गिरावट 6.7 प्रतिशत रही. इस्‍पात के उत्‍पादन में 0.3 प्रतिशत की मामूली गिरावट जबकि सीमेंट के उत्‍पादन में 2.1 प्रतिशत की कमी आयी. बिजली का उत्‍पादन भी 3.7 प्रतिशत गिर गया.

8 कोर उद्योगों में बढ़ोतरी सिर्फ उर्वरक के उत्पादन में दर्ज़ की गयी है जो इस दौरान 5.4 प्रतिशत बढ़ गया. वर्ष 2019-20 में अप्रैल-सितम्‍बर के दौरान आठ कोर उद्योगों की संचयी उत्‍पादन वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत रही. नीति आयोग की लैंड पालिसी पर स्पेशल सेल के चेयरमैन रहे अर्थशास्त्री टी हक़ मानते हैं कि अर्थव्यवस्था और कमज़ोर पड़ती जा रही है.

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टी हक़, पूर्व चेयरपर्सन, स्पेशल सेल ऑन लैंड पालिसी , नीति आयोग ने एनडीटीवी से कहा, 'मुझे डर है कि अभी जो अर्थव्यवस्था में सुस्ती मंदी के रूप में था अब हो सकता है कि वो आर्थिक अवसाद में न बदल जाए. अगर अर्थव्यवस्था अवसाद में चली गई तो हालात असहनीय हो जाएंगे. अर्थव्यवस्था में मांग को मजबूत करने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने. आम लोगों की आय बढ़ाना भी जरूरी होगी.'

साफ़ है, अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए सरकार ने जो पिछले दो महीनों में जो कदम उठाये हैं उनका असर ज़मीन पर होता नहीं दिख रहा है और कमज़ोर पड़ती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार को नए सिरे और बड़े स्तर पर पहल करना होगा.
 

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