संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत की स्थाई राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा है कि पूर्व में गठित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई राजदूत ने साथ ही यह भी प्रश्न किया कि क्या 1945 की ‘‘सुरक्षा व्यवस्था'' 2023 में भी कारगर है. कंबोज ने सुरक्षा परिषद में ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे: अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, बढ़ती चुनौतियां और नए खतरे' विषय पर बृहस्पतिवार को आयोजित चर्चा में यह बात कही.
उन्होंने प्रश्न किया, ‘‘अगर शांति सुनिश्चित करना ट्रिलियन डॉलर का प्रश्न है तो क्या हमारे पास आज के वक्त के हिसाब से और समसामयिक हकीकत को प्रदर्शित करने वाला शांति संबंधी बुनियादी ढांचा है.''
कंबोज ने कहा, ‘‘क्या 1945 की ‘‘सुरक्षा व्यवस्था'' 2023 में भी कारगर है? पूर्व में गठित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज के परिप्रेक्ष्य में अप्रासंगिक ही है.''
दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत सुरक्षा परिषद में सुधार का वर्षों से प्रयास कर रहा है और उसका कहना है कि वह सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने का हकदार है. संयुक्त राष्ट्र की यह शीर्ष संस्था अपने वर्तमान स्वरूप में 21वीं सदी की भू-राजनीतिक हकीकत को नहीं दिखाती.
कंबोज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उद्धत करते हुए कहा कि जब खतरे वैश्विक हों तो जबावी प्रतिक्रिया सिर्फ स्थानीय नहीं हो सकती और इन खतरों से निपटने के लिए दुनिया को एकजुट होना होगा.
कंबोज ने दुनिया भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सरकारों के बीच खुफिया जानकारी एकत्र करने और साझा करने और निवारक उपायों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया.
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