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DRDO ने किया IADWS का सफल परीक्षण, जानिए इसका ‘सुदर्शन चक्र’ से क्या है नाता

DRDO प्रमुख समीर वी. कामत ने कहा, “यह तो बस शुरुआत है. हम ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं जो हमें स्टार वॉर्स जैसी क्षमताएं देंगी.”

DRDO ने किया IADWS का सफल परीक्षण, जानिए इसका ‘सुदर्शन चक्र’ से क्या है नाता
  • ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को आसमान में लड़ने वाले युद्ध की जरूरत और ड्रोन्स से सुरक्षा की अहमियत का एहसास कराया.
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने ओडिशा तट पर मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया है.
  • इसमें मौजूद उच्च शक्ति वाला लेज़र वेपन बिना गोला-बारूद के टारगेट को नष्ट कर सकता है.
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ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को यह एहसास कराया कि आने वाले युद्ध केवल ज़मीन पर नहीं, बल्कि आसमान में भी लड़े जाएंगे. पाकिस्तान ने छोटे-बड़े ड्रोन्स से हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम्स ने हर बार उसे नाकाम किया. इसी सुरक्षा कवच को और मज़बूत करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आज दोपहर 12:30 बजे ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया.

IADWS एक मल्टी-लेयर्ड (कई परतों वाला) एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें शामिल हैं:

  • क्विक रिएक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल (QRSAM)
  • कम दूरी की मिसाइलें (VSHORADS)
  • उच्च शक्ति वाला लेज़र वेपन सिस्टम (Direct Energy Weapon)

टेस्ट का वीडियो देखिए

‘सुदर्शन चक्र': भारत का एयर शील्ड

15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से घोषणा की थी कि भारत ‘सुदर्शन चक्र' नामक मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है. यह इज़रायल के Iron Dome जैसा होगा और ड्रोन्स, फाइटर जेट्स, क्रूज़ मिसाइल्स जैसे खतरों से सुरक्षा देगा. 2035 तक इस प्रणाली के पूरी तरह ऑपरेशनल होने की उम्मीद है. IADWS इसी महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में पहला कदम है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षण पर बधाई देते हुए कहा कि “यह उड़ान परीक्षण हमारे देश की बहुस्तरीय एयर डिफेंस क्षमता को स्थापित करता है और ज़रूरी ठिकानों की सुरक्षा को और मज़बूत बनाएगा.”

IADWS: तीन हथियार, एक कवच

1. क्विक रिएक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल (QRSAM)

  • खतरे की स्थिति में तुरंत सक्रिय
  • एयरक्राफ्ट, ड्रोन और मिसाइल को हवा में मार गिराने की क्षमता
  • DRDO द्वारा विकसित, निर्माण BDL और BEL द्वारा
  • अशोक लेलैंड डिफेंस की गाड़ियों पर माउंट

फीचर्स

  • लंबाई: 14.31 फीट
  • वजन: 270 किलोग्राम
  • रेंज: 5–30 किमी, 10 किमी ऊंचाई तक
  • क्षमता: एक साथ 6 टारगेट्स को निशाना बना सकता है
  • हर मौसम में ऑपरेट करने योग्य

ख़ासियत: पारंपरिक हीट सीकर की जगह इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (RF Seeker) है. यह टारगेट के रेडियो सिग्नल्स को पकड़कर उसे भेदता है, इसलिए इसे फ्लेयर्स या हीट सिग्नेचर घटाकर धोखा नहीं दिया जा सकता.

2. कम दूरी की मिसाइलें (VSHORADS)

  • नज़दीकी हवाई खतरों से निपटने वाला सिस्टम
  • चौथी पीढ़ी का मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस (MANPAD)
  • इतना हल्का कि सैनिक इसे अपने साथ ले जा सकता है
  • आर्मी की फॉरवर्ड पोस्ट्स पर तैनात

फीचर्स

  • रेंज: 300 मीटर से 6 किमी
  • DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत द्वारा विकसित
  • जनवरी 2025 में सफल परीक्षण
  • कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन्स को सटीकता से मार गिराने में सक्षम

IADWS का हिस्सा बनने के बाद VSHORADS भारत की एयर डिफेंस का सबसे भीतरी सुरक्षा घेरा होगा.

3. उच्च शक्ति वाला लेज़र वेपन (Direct Energy Weapon – DEW)

  • बिना गोला-बारूद, केवल ऊर्जा से हमला
  • 30 किलोवाट लेज़र ऊर्जा उत्सर्जित करता है
  • तुलना: आम घर का बिजली कनेक्शन 3 किलोवाट, यानी यह हथियार 10 गुना अधिक शक्तिशाली
  • अप्रैल 2025 में आंध्र प्रदेश के कुरनूल में सफल परीक्षण
  • भविष्य में नौसैनिक जहाज़ों और फाइटर विमानों पर लगाने की योजना

ख़ासियत

  • बिना छुए ही टारगेट को नष्ट या निष्क्रिय करना
  • फिक्स्ड-विंग और स्वार्म ड्रोन दोनों को गिराने में सफल
  • सर्विलांस सेंसर को भी निष्क्रिय कर सकता है

DRDO प्रमुख समीर वी. कामत ने कहा, “यह तो बस शुरुआत है. हम ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं जो हमें स्टार वॉर्स जैसी क्षमताएं देंगी.”

भविष्य की दिशा

IADWS कोई एक हथियार नहीं बल्कि तीन परतों वाला ऐसा कवच है, जो आसमान से आने वाले हर खतरे जैसे ड्रोन, मिसाइल, फाइटर जेट या स्वार्म अटैक को नाकाम करने में सक्षम है.

2035 तक जब ‘सुदर्शन चक्र' पूरी तरह ऑपरेशनल होगा, तब भारत के पास एक ऐसा एयर डिफेंस होगा, जो दुनिया की सबसे मज़बूत प्रणालियों में गिना जाएगा. यह न सिर्फ़ दुश्मन के लिए चुनौती है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ताक़त का भी प्रतीक है.

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