प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह को सीधे सपाट शब्दों में चेतावनी दी कि 'आप ज्यादा होशियार नहीं बनें अन्यथा हम आप को बेघर कर देंगे.' आम्रपाली समूह पर आरोप है कि उसने अपनी आवासीय परियोजनाओं में विलंब किया है जो मकान खरीदारों के हितों के लिए नुकसानदेह है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा कि न्यायालय लंबित आसासीय परियोजनाओं के निर्माण की लागत वसूल करने के लिए फर्म की 'एक एक' संपत्ति बेच देगा.
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पीठ ने कहा, 'असली समस्या यह है कि आपने मकानों का कब्जा देने में विलंब किया है. ज्यादा होशियार बनने की कोशिश नहीं करें अन्यथा हम आपकी एक-एक संपत्ति बेच देंगे और आपको बेघर कर देंगे.' पीठ ने समूह को निर्देश दिया कि 15 दिन के भीतर अपने प्रबंध निदेशक और निदेशकों की चल और अचल संपत्तियों की मूल्यांकन रिपोर्ट पेश करे. न्यायालय ने उन कंपनियों का विवरण भी मांगा है जो आम्रपाली परियोजनाओं के रखरखाव का काम देख रही हैं और उन्होंने जो रकम एकत्र की है और अभी तक वितरित की है.
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पीठ ने कंपनी के कार्यरत निदेशकों और 2008 के बाद से आम्रपाली समूह छोड़ चुके निदेशकों के विवरण के बारे में भी पूछताछ की. शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह की दो परियोजनाओं की बिजली आपूर्ति बहाल करने का भी बिजली कंपनियों को निर्देश दिया है. बिजली की बकाया राशि का भुगतान नहीं करने की वजह से इनकी बिजली आपूर्ति काट दी गई थी. नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन इंडिया लि (एनबीसीसी) ने दो अगस्त को न्यायालय से कहा था कि वह आम्रपाली समूह की कंपनियों, जो करीब 42,000 मकान खरीदारों को फ्लैट का कब्जा देने में विफल रही हैं, की परियोजनाएं अपने हाथ में लेने के लिए तैयार है.
VIDEO : सुप्रीम कोर्ट से आम्रपाली के खरीददारों को बड़ी राहत
न्यायालय ने एनबीसीसी को इस संबंध में 30 दिन के भीतर ठोस प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया था कि वे किस तरह और कितने समय के भीतर इन परियोजनाओं को पूरा करेंगे. इससे पहले, पीठ ने न्यायालय के साथ 'छल' करने और 'घिनौना खेल खेलने' के लिए आम्रपाली समूह को आड़े हाथ लेते हुए उसकी सभी 41 फर्मो के सारे बैंक खाते और चल संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया था. यही नहीं, न्यायालय ने समूह को 2008 से अब तक के अपने सारे बैंक खातों का विवरण पेश करने और उसकी 40 फर्मो के निदेशकों के बैंक खाते जब्त करने का भी आदेश दिया था.
(इनपुट : भाषा)
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पीठ ने कहा, 'असली समस्या यह है कि आपने मकानों का कब्जा देने में विलंब किया है. ज्यादा होशियार बनने की कोशिश नहीं करें अन्यथा हम आपकी एक-एक संपत्ति बेच देंगे और आपको बेघर कर देंगे.' पीठ ने समूह को निर्देश दिया कि 15 दिन के भीतर अपने प्रबंध निदेशक और निदेशकों की चल और अचल संपत्तियों की मूल्यांकन रिपोर्ट पेश करे. न्यायालय ने उन कंपनियों का विवरण भी मांगा है जो आम्रपाली परियोजनाओं के रखरखाव का काम देख रही हैं और उन्होंने जो रकम एकत्र की है और अभी तक वितरित की है.
Amrapali case: SC observed, "Either you give home or flats to home buyers or else we will sell all your flats to ensure raising required amount of the funds so that the unfinished projects can be constructed.We will make you homeless, unless you give the flats to the homebuyers."
— ANI (@ANI) August 8, 2018
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पीठ ने कंपनी के कार्यरत निदेशकों और 2008 के बाद से आम्रपाली समूह छोड़ चुके निदेशकों के विवरण के बारे में भी पूछताछ की. शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह की दो परियोजनाओं की बिजली आपूर्ति बहाल करने का भी बिजली कंपनियों को निर्देश दिया है. बिजली की बकाया राशि का भुगतान नहीं करने की वजह से इनकी बिजली आपूर्ति काट दी गई थी. नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन इंडिया लि (एनबीसीसी) ने दो अगस्त को न्यायालय से कहा था कि वह आम्रपाली समूह की कंपनियों, जो करीब 42,000 मकान खरीदारों को फ्लैट का कब्जा देने में विफल रही हैं, की परियोजनाएं अपने हाथ में लेने के लिए तैयार है.
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न्यायालय ने एनबीसीसी को इस संबंध में 30 दिन के भीतर ठोस प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया था कि वे किस तरह और कितने समय के भीतर इन परियोजनाओं को पूरा करेंगे. इससे पहले, पीठ ने न्यायालय के साथ 'छल' करने और 'घिनौना खेल खेलने' के लिए आम्रपाली समूह को आड़े हाथ लेते हुए उसकी सभी 41 फर्मो के सारे बैंक खाते और चल संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया था. यही नहीं, न्यायालय ने समूह को 2008 से अब तक के अपने सारे बैंक खातों का विवरण पेश करने और उसकी 40 फर्मो के निदेशकों के बैंक खाते जब्त करने का भी आदेश दिया था.
(इनपुट : भाषा)
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