स्टूडेंट्स की खुदकुशी : कोटा के कलेक्टर ने पैरेंट्स के नाम लिखा पत्र...
कोटा:
आईआईटी में दाखिला पाने की इच्छुक 17 वर्षीय एक छात्रा के परीक्षा पास करने के महज एक दिन बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर लेने की दुखद घटना से व्यथित होकर कोटा जिला के कलेक्टर ने यहां के कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले डेढ़ लाख से अधिक छात्रों के अभिभावकों को भावुक होकर एक पत्र लिखा है। उन्होंने अनुरोध किया है कि वे अपने बच्चों पर जबरन अपनी अपेक्षाएं नहीं थोपें।
पांच पन्नों का लेटर लिखा है कलेक्टर रवि कुमार ने...
कलेक्टर रवि कुमार सुरपुर ने पांच पृष्ठों का यह पत्र शहर के कोचिंग संस्थानों को भेजा है जिसे हिंदी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनूदित करके छात्रों के माता पिता को भेजा जाएगा। युवा छात्रों की खुदकुशी की घटनाओं का हवाला देते हुए जिला कलेक्टर ने लिखा कि इन बच्चों के माता पिता की उनसे जो कुछ भी उम्मीदें थीं, उनकी बनावटी दुविधा में जीने के बजाय उन्होंने मौत को गले लगाना आसान समझा।
'माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता दिखानी चाहिए?'
उन्होंने लिखा, ‘उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए डराने धमकाने के बजाय आपके सांत्वना के बोल और नतीजों को भूलकर बेहतर करने के लिए प्रेरित करना, उनकी कीमती जानें बच सकता है।’ रवि कुमार सुरपुर ने लिखा, ‘क्या माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता दिखानी चाहिए? ऐसा नहीं होना चाहिए ।’ सुरपुर ने अपने पत्र में भावुक अपील करते हुए इन छात्रों के माता पिता से कहा, ‘अपनी अपेक्षाओं और सपनों को जबरन अपने बच्चों पर नहीं थोपें, बल्कि वे जो करना चाहते हैं, जिसे करने के वे काबिल हैं उन्हें वही करने दें।’
8 अप्रैल को कृति नामक छात्रा ने की आत्महत्या...
इसके अलावा जिला प्रशासन ने विभिन्न संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों के तनाव के स्तर को जानने और छात्रों की परेशानी के संकेत मिलने पर ऐसे संस्थानों से उसकी जांच पड़ताल करने को कहा। गौरतलब है कि आईआईटी-जेईई की मुख्य परीक्षा पास करने के बाजवूद 28 अप्रैल को कृति नामक छात्रा ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद जिला प्रशासन का यह कदम सामने आया है।
पिछले साल करीब 19 छात्रों ने की सुइसाइड...
2015 में यहां कम से कम 19 छात्रों ने मौत को गले लगा लिया था, जबकि 2016 में पांच छात्रों ने खुदुकुशी की। सुरपुर ने हाल में खुदकुशी करने वाली एक युवा छात्रा के पत्र का भी उल्लेख किया। बिल्कुल शुद्ध व्याकरण और बेहद खूबसूरत लिखावट में लिखे अपने पत्र में छात्रा ने अपनी मां को धन्यवाद करते हुए लिखा था कि किस तरह से उन्होंने अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। एक अन्य सुसाइड नोट में एक लड़की ने अपने माता पिता से अनुरोध किया वे उसकी छोटी बहन को वही करने दें जो वह चाहती है।
सुरपुर ने अपने पत्र में छात्रों से कहा कि उन्हें इंजीनियरिंग और मेडिसिन को अपना करियर बनाने के अलावा अन्य विकल्पों की ओर भी ध्यान देना चाहिए। इस साल जनवरी में भी छात्रों और अभिभावकों के नाम पत्र लिखा था और उनसे कहा था कि जीवन बहुत खूबसूरत है और महज परीक्षा पास कर लेना ही सबकुछ नहीं होता। इस बीच, जिला प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों के अधिकारियों और छात्रावास मालिकों के साथ शनिवार को एक बैठक की और उसके द्वारा कुछ महीने पहले जारी दिशानिर्देशों को लागू करने को कहा ताकि छात्रों में होने वाले तनाव को आंका जा सके।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पांच पन्नों का लेटर लिखा है कलेक्टर रवि कुमार ने...
कलेक्टर रवि कुमार सुरपुर ने पांच पृष्ठों का यह पत्र शहर के कोचिंग संस्थानों को भेजा है जिसे हिंदी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनूदित करके छात्रों के माता पिता को भेजा जाएगा। युवा छात्रों की खुदकुशी की घटनाओं का हवाला देते हुए जिला कलेक्टर ने लिखा कि इन बच्चों के माता पिता की उनसे जो कुछ भी उम्मीदें थीं, उनकी बनावटी दुविधा में जीने के बजाय उन्होंने मौत को गले लगाना आसान समझा।
'माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता दिखानी चाहिए?'
उन्होंने लिखा, ‘उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए डराने धमकाने के बजाय आपके सांत्वना के बोल और नतीजों को भूलकर बेहतर करने के लिए प्रेरित करना, उनकी कीमती जानें बच सकता है।’ रवि कुमार सुरपुर ने लिखा, ‘क्या माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता दिखानी चाहिए? ऐसा नहीं होना चाहिए ।’ सुरपुर ने अपने पत्र में भावुक अपील करते हुए इन छात्रों के माता पिता से कहा, ‘अपनी अपेक्षाओं और सपनों को जबरन अपने बच्चों पर नहीं थोपें, बल्कि वे जो करना चाहते हैं, जिसे करने के वे काबिल हैं उन्हें वही करने दें।’
8 अप्रैल को कृति नामक छात्रा ने की आत्महत्या...
इसके अलावा जिला प्रशासन ने विभिन्न संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों के तनाव के स्तर को जानने और छात्रों की परेशानी के संकेत मिलने पर ऐसे संस्थानों से उसकी जांच पड़ताल करने को कहा। गौरतलब है कि आईआईटी-जेईई की मुख्य परीक्षा पास करने के बाजवूद 28 अप्रैल को कृति नामक छात्रा ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद जिला प्रशासन का यह कदम सामने आया है।
पिछले साल करीब 19 छात्रों ने की सुइसाइड...
2015 में यहां कम से कम 19 छात्रों ने मौत को गले लगा लिया था, जबकि 2016 में पांच छात्रों ने खुदुकुशी की। सुरपुर ने हाल में खुदकुशी करने वाली एक युवा छात्रा के पत्र का भी उल्लेख किया। बिल्कुल शुद्ध व्याकरण और बेहद खूबसूरत लिखावट में लिखे अपने पत्र में छात्रा ने अपनी मां को धन्यवाद करते हुए लिखा था कि किस तरह से उन्होंने अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। एक अन्य सुसाइड नोट में एक लड़की ने अपने माता पिता से अनुरोध किया वे उसकी छोटी बहन को वही करने दें जो वह चाहती है।
सुरपुर ने अपने पत्र में छात्रों से कहा कि उन्हें इंजीनियरिंग और मेडिसिन को अपना करियर बनाने के अलावा अन्य विकल्पों की ओर भी ध्यान देना चाहिए। इस साल जनवरी में भी छात्रों और अभिभावकों के नाम पत्र लिखा था और उनसे कहा था कि जीवन बहुत खूबसूरत है और महज परीक्षा पास कर लेना ही सबकुछ नहीं होता। इस बीच, जिला प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों के अधिकारियों और छात्रावास मालिकों के साथ शनिवार को एक बैठक की और उसके द्वारा कुछ महीने पहले जारी दिशानिर्देशों को लागू करने को कहा ताकि छात्रों में होने वाले तनाव को आंका जा सके।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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