फिल्म उड़ता पंजाब फाइल फोटो
मुंबई:
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को फिल्म 'उड़ता पंजाब' को सिर्फ एक कट के साथ मंजूर करने का निर्देश दिया। फिल्म के सह-निर्माता अनुराग कश्यप ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा कि 'इस मुद्दे पर हमारा रुख सही सिद्ध हुआ।'
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस शालिनी पनसालकर-जोशी की खंडपीठ ने सेंसर बोर्ड को फिल्म के लिए 'ए' प्रमाण-पत्र जारी करने का भी आदेश दिया है। यह फिल्म इसी शुक्रवार 17 जून को रिलीज होनी है।
बंबई हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने वाले फिल्म निर्माताओं के वकील ने कहा, 'अदालत ने सीबीएफसी की पुनरीक्षण समिति की 13 कट की मांग को खारिज कर दिया है और एक कट के साथ फिल्म को पास कर दिया है। जिस सीन को फिल्म से निकाला गया है, उसमें हीरो सार्वजनिक रूप से पेशाब करता दिखाया गया है, जिसे फिल्म से निकालने के लिए हम पहले ही तैयार हो गए थे।'
इससे पहले, हाईकोर्ट ने कहा था कि उसे फिल्म "उड़ता पंजाब" में कहीं भी भारतीय संप्रभुता या अखंडता पर सवाल उठता नहीं दिखाई दिया। हाईकोर्ट ने कहा, "हमने पूरी स्क्रिप्ट ये जानने के लिए पढ़ी कि क्या फिल्म नशे को बढ़ावा देती है या नहीं। हमने ये पाया कि फिल्म किसी शहर या राज्य के नाम, या फिर किसी संकेत के माध्यम से भारतीय संप्रभुता या अखंडता पर सवाल उठाती नहीं दिखाई देती है।" यह कहते हुए कोर्ट ने कहा कि जब तक कि रचनात्मक स्वतंत्रता का दुरुपयोग न हो, किसी को दखल नहीं देना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि हमें फिल्म में ऐसा कुछ नहीं नजर आया जो पंजाब की गलत छवि पेश करता हो या भारत की संप्रभुता या अखंडता को प्रभावित करता हो जैसा कि सीबीएफसी ने दावा किया है। कोर्ट ने इस फिल्म से जुड़े विवाद पर कहा, सीबीएफसी को कानून के हिसाब से फिल्मों को सेंसर करने का अधिकार नहीं है क्योंकि सेंसर शब्द सिनेमाटोग्राफ अधिनियम में शामिल नहीं किया गया है। वैसे 'उड़ता पंजाब' में कुछ कट लग सकते हैं। फिल्म में इस्तेमाल गालियों के पक्ष में दी गई दलीलों से बांबे हाईकोर्ट सहमत नहीं है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को ही हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी को याद दिलाया था कि उनका काम फिल्मों को प्रमाणपत्र देना है न कि उनमें काट-छांट करना। निहलानी ने अनुराग कश्यप की फिल्म "उड़ता पंजाब" को प्रमाणपत्र देने से पहले फिल्म के 89 दृश्यों पर कैंची चला दी थी, जिसके बाद कश्यप और उनकी फैंटम फिल्मस मामले को कोर्ट ले गए थे। "उड़ता पंजाब" आगामी 17 जून को प्रदर्शित होने जा रही है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस शालिनी पनसालकर-जोशी की खंडपीठ ने सेंसर बोर्ड को फिल्म के लिए 'ए' प्रमाण-पत्र जारी करने का भी आदेश दिया है। यह फिल्म इसी शुक्रवार 17 जून को रिलीज होनी है।
बंबई हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने वाले फिल्म निर्माताओं के वकील ने कहा, 'अदालत ने सीबीएफसी की पुनरीक्षण समिति की 13 कट की मांग को खारिज कर दिया है और एक कट के साथ फिल्म को पास कर दिया है। जिस सीन को फिल्म से निकाला गया है, उसमें हीरो सार्वजनिक रूप से पेशाब करता दिखाया गया है, जिसे फिल्म से निकालने के लिए हम पहले ही तैयार हो गए थे।'
इससे पहले, हाईकोर्ट ने कहा था कि उसे फिल्म "उड़ता पंजाब" में कहीं भी भारतीय संप्रभुता या अखंडता पर सवाल उठता नहीं दिखाई दिया। हाईकोर्ट ने कहा, "हमने पूरी स्क्रिप्ट ये जानने के लिए पढ़ी कि क्या फिल्म नशे को बढ़ावा देती है या नहीं। हमने ये पाया कि फिल्म किसी शहर या राज्य के नाम, या फिर किसी संकेत के माध्यम से भारतीय संप्रभुता या अखंडता पर सवाल उठाती नहीं दिखाई देती है।" यह कहते हुए कोर्ट ने कहा कि जब तक कि रचनात्मक स्वतंत्रता का दुरुपयोग न हो, किसी को दखल नहीं देना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि हमें फिल्म में ऐसा कुछ नहीं नजर आया जो पंजाब की गलत छवि पेश करता हो या भारत की संप्रभुता या अखंडता को प्रभावित करता हो जैसा कि सीबीएफसी ने दावा किया है। कोर्ट ने इस फिल्म से जुड़े विवाद पर कहा, सीबीएफसी को कानून के हिसाब से फिल्मों को सेंसर करने का अधिकार नहीं है क्योंकि सेंसर शब्द सिनेमाटोग्राफ अधिनियम में शामिल नहीं किया गया है। वैसे 'उड़ता पंजाब' में कुछ कट लग सकते हैं। फिल्म में इस्तेमाल गालियों के पक्ष में दी गई दलीलों से बांबे हाईकोर्ट सहमत नहीं है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को ही हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी को याद दिलाया था कि उनका काम फिल्मों को प्रमाणपत्र देना है न कि उनमें काट-छांट करना। निहलानी ने अनुराग कश्यप की फिल्म "उड़ता पंजाब" को प्रमाणपत्र देने से पहले फिल्म के 89 दृश्यों पर कैंची चला दी थी, जिसके बाद कश्यप और उनकी फैंटम फिल्मस मामले को कोर्ट ले गए थे। "उड़ता पंजाब" आगामी 17 जून को प्रदर्शित होने जा रही है।
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