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This Article is From Mar 08, 2015

हुर्रियत कट्टरपंथी मसर्रत आलम की रिहाई के चलते पीडीपी-बीजेपी में तनाव

हुर्रियत कट्टरपंथी मसर्रत आलम की रिहाई के चलते पीडीपी-बीजेपी में तनाव
कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम
जम्मू/श्रीनगर:

हुर्रियत के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई के चलते महज हफ्ते भर पुराने पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में तनाव दिख रहा है। भगवा पार्टी ने 'एकतरफा' फैसले की आलोचना की और चेतावनी दी है कि ऐसी चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।

बीजेपी ने कहा कि यह फैसला साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) के आधार पर नहीं है, जिस पर जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार चल रही है। लेकिन पीडीपी इस बात पर जोर दे रही है कि यह सीएमपी के अनुरूप ही है।

प्रदेश बीजेपी प्रमुख और सांसद जुगल किशोर शर्मा ने बताया कि यह फैसला करने से पहले उनकी पार्टी से विचार-विमर्श नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं की आज यहां बैठक हुई और उनकी पार्टी अपनी नाराजगी से पीडीपी नेतृत्व को अवगत कराएगी तथा उससे गठबंधन धर्म का पालन करने को कहेगी।

शर्मा ने कहा कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी पार्टी के फैसले को एकतरफा बताया है और पार्टी इससे काफी आहत हुई है। दरअसल, कट्टरपंथी अलगाववादी नेता की रिहाई से एक बड़ा विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि सईद ने आलम को रिहा करने का फैसला लेने से पहले अपने गठबंधन साझेदार बीजेपी को विश्वास में नहीं लिया।

उन्होंने संवाददाताओं को बताया, 'हमे उनकी रिहाई से पहले सूचना या जानकारी नहीं दी गई।' उन्होंने कहा, 'हम ऐसे किसी बयान को या ऐसे किसी फैसले को बर्दाश्त नहीं करने जा रहे हैं जो साझा न्यूनतम कार्यक्रम के अनुरूप नहीं है, जिस पर हम सहमत हुए थे। हमने अपने साझेदार को अपनी नाराजगी जाहिर करने का फैसला किया है ताकि ऐसी चीजें भविष्य में न हों।'

वहीं दूसरी ओर, पीडीपी प्रवक्ता और शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने कहा कि फैसला सीएमपी के अनुरूप है जो जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए सभी साझेदारों को शामिल करने का जिक्र करता है।

अख्तर ने बताया, 'इसे (आलम की रिहाई को) उपयुक्त संदर्भ में देखना होगा। सुलह और शांति के लिए राज्य में तथा सीमा पार के सभी भागीदारों को शामिल करना हमारे साझा न्यूनतम कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा है।' उन्होंने कहा, 'अगर आप भागीदारों के साथ वार्ता करना चाहते हैं, जिनमें ये नेता शामिल हैं, तो आप उनके खिलाफ बगैर ठोस कारण के उन्हें जेल में रख कर उनसे बात नहीं कर सकते।' अख्तर ने कहा कि अदालत ने कुछ नेताओं की हिरासत पर हस्तक्षेप किया और उनकी रिहाई सुनिश्चित हुई।

आलम की रिहाई पर भाजपा के विरोध के बारे में पूछे जाने पर पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि वह इस पर सार्वजनिक बहस में नहीं कूदना चाहते। 'उनके अपने विचार हैं लेकिन मैं इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा में शामिल नहीं होना चाहता। यह हमारी सीएमपी का हिस्सा है।'

एक अन्य पीडीपी नेता और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं युवा सेवा तथा खेल मंत्री इमरान अंसारी ने दावा किया कि आलम की रिहाई के आदेश को लागू करने में भाजपा पीडीपी के साथ थी। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि भाजपा को कोई ऐतराज है। वे हमारे साथ हैं। हमारी गठबंधन सरकार है। मुझे नहीं लगता कि उसे मुद्दा बनाना सही चीज है। अदालतों ने उन्हें रिहा किया और गृह मंत्रालय ने आदेश को तामील किया।'

वहीं, दूसरी ओर जुगल किशोर शर्मा ने जोर देते हुए कहा, 'इस कदम पर भाजपा की सहमति नहीं थी। न ही ऐसा फैसला किए जाने से पहले भाजपा से संपर्क किया गया।'

गौरतलब है कि वर्ष 2010 में कश्मीर में व्यापक प्रदर्शनों के सिलसिले में साढ़े चार साल की हिरासत के बाद आलम को कल रिहा किया जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए थे।

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