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This Article is From Aug 26, 2020

बनारस के डोम राजा का निधन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बने थे चुनाव में प्रस्तावक

बनारस के मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट को मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है. इन दोनों घाटों पर जलने वाली चिता की आग कभी ठंडी नहीं पड़ती. यहां दाह-संस्कार कराने वालों को ‘डोम राजा’ कहकर पुकारा जाता है.

बनारस के डोम राजा का निधन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बने थे चुनाव में प्रस्तावक
प्रतीकात्मक तस्वीर
बनारस:

बनारस में काशी नरेश के बाद अगर अपने नाम के आगे कोई राजा लिखता है तो वो हैं ‘डोम राजा'. काशी में डोम राजा और उनके परिवार की एक अलग हैसियत  है.  परिवार का एक लंबा इतिहास रहा है. लेकिन मंगलवार को डोम राजा जगदीश चौधरी (Jagdish Chaudhary) के निधन के साथ ही इस परिवार की एक कड़ी टूट गई. उनके निधन से न सिर्फ बनारस मर्माहत है बल्कि सियासत जगत भी शोक में डूब गया है. बनारस के सांसद और देश के पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दुख जताया है. 

बनारस के मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट को मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है. इन दोनों घाटों पर जलने वाली चिता की आग कभी ठंडी नहीं पड़ती. यहां दाह-संस्कार कराने वालों को ‘डोम राजा' कहकर पुकारा जाता है. बनारस में डोमराजा और उनके परिवार का अलग महत्व है. वाराणसी में हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट में करीब 500 से 600 डोम रहते हैं जबकि उनकी बिरादरी में पांच हजार से ज्यादा लोग हैं. डोम राजा परिवार के पूर्वज कालू डोम चौधरी थे. कहा जाता है कि ये वही कालू डोम थे जिन्होंने सत्यवादी राजा हरीशचंद्र को खरीदा था.


वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शर्मा के अनुसार राजा नाम उनके परिवार ने खुद नहीं रखा है, बल्कि जनता ने उनके परिवार को ये नाम दिया है. डोम राजा का परिवार धीरे-धीरे काफी बड़ा होता गया और इस वक़्त करीब 100-150 लोगों का परिवार है जो न सिर्फ काशी बल्कि जौनपुर, बलिया, गाजीपुर के अलावा अन्य जगहों पर रहते हैं और दाह संस्कार कराते है. दो घाट पर सभी डोम की बारी लगती है और कभी दस दिन या बीस दिन में बारी आती है. बाकी दिन बेगारी.
  
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी जब बनारस से चुनाव लड़ने के लिए आए उन्होंने बनारस की संस्कृति और परंपरा के वाहक रहे डोमराजा जगदीश चौधरी को अपना प्रस्तावक के तौर पर चुना. डोम राजा और उनके परिवार के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि थी. पीएम की पहल से गदगद जगदीश चौधरी ने कहा था कि हालांकि मोदी पहले पीएम हैं जिन्होंने हम जैसों की तरफ ध्यान दिया है. खैर डोम जाति को श्मशान का चौकीदार भी माना जाता है. इसीलिए पीएम मोदी ने चौकीदार को अपना प्रस्तावक बनाया है. 'डोम राजा' को धरती का यमराज कहा जाता है, जो शवों का दाह-संस्कार करके मृत आत्माओं को मोक्ष का रास्ता दिखाते हैं. 

शवों को आग देने जैसा काम करने वाला व्यक्ति 'राजा' कैसे हो सकता है? डोम का अर्थ- ड+ओम=डोम. इस तरह डोम शब्द से ओम (ॐ) की ध्वनि निकलती है. 'ओम' ईश्वर का नाम है. डोम में ड+अ+उ+ओ+म=डोम, उ=शिव और ओम=ओंकार. वेदों का महामंत्र जिसका उच्चारण हुआ शिव ओम. अर्थात ओम से सृष्टि तथा शिव से सृष्टि का संहार. डोम राजाओं की पौराणिक कथा भगवान शिव और राम के पूर्वज राजा हरीशचंद्र से जुड़ी है.

हरीशचंद्र के कारण डोम बने राजा

एक दूसरी कथा राजा हरीशचंद्र से जुड़ी है. हरीशचंद्र के कारण ही डोम के आगे 'राजा' लगने लगा. ऋषि विश्वामित्र द्वारा राजा हरीशचंद्र के धर्म की परीक्षा लेने के लिए उनसे दान में उनका संपूर्ण राज्य मांग लिया गया था. दान में राज्य मांगने के बाद भी विश्वामित्र ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उनसे दक्षिणा भी मांगने लगे. इस पर हरीशचंद्र ने अपनी पत्नी, बच्चों सहित स्वयं को बेचने का निश्चय किया और वे काशी चले गए, जहां पत्नी व बच्चों को एक ब्राह्मण को बेचा व स्वयं को डोम राजा के यहां बेचकर मुनि की दक्षिणा पूरी की. उस काल में डोम को 'चांडाल' भी कहा जाता था, क्योंकि वे श्मशान में रहते थे. हरीशचंद्र श्मशान में कर वसूली का काम करने लगे. इसी बीच पुत्र रोहित की सर्पदंश से मौत हो जाती है. पत्नी श्मशान पहुंचती है, जहां कर चुकाने के लिए उसके पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं रहती. हरीशचंद्र अपने धर्म का पालन करते हुए कर की मांग करते हैं.

इस विषम परिस्थिति में भी राजा का धर्म-पथ नहीं डगमगाया. विश्वामित्र अपनी अंतिम चाल चलते हुए हरीशचंद्र की पत्नी को डायन का आरोप लगाकर उसे मरवाने के लिए हरीशचंद्र को काम सौंपते हैं. इस पर हरीशचंद्र आंखों पर पट्टी बांधकर जैसे ही वार करते हैं, स्वयं सत्यदेव प्रकट होकर उसे बचाते हैं, वहीं विश्वामित्र भी हरीशचंद्र के सत्यपालन धर्म से प्रसन्न होकर सारा साम्राज्य वापस कर देते हैं. हरीशचंद्र के शासन में जनता सभी प्रकार से सुखी और शांतिपूर्ण थी. यथा राजा तथा प्रजा.
 

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