हाईपरलूप वन ट्रेन हो रही है तैयार
नई दिल्ली:
दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी केवल 70 मिनट में पूरी की जाएगी तथा चेन्नई और मुंबई की दूरी 60 मिनट में पूरी की जा सकती है. क्या यह संभव है, सुनने में तो यह 'फेक न्यूज' लगती है. लेकिन, यह कोई अफवाह नहीं हकीकत बनने जा रही है. दुनिया में इस संबंध में प्रयोग आरंभ हो गए हैं और इसका पहला व्यावसायिक प्रयोग 2020 में होगा. इस काम के लिए हाईपरलूप तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. अमेरिका के लॉस एंजिलस की कंपनी हाईपरलूप वन के सीईओ भारत दौरे पर हैं. टेस्ला मोटर्स इलोन मस्क के कंपनी के सीईओ और सह-संस्थापक को 2013 में यह विचार आया था. कंपनी का कहना है कि यह तकनीक वर्तमान हवाई यात्रा किराया से कम में उपलब्ध होगी.
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक तेज गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन का भी विकल्प साबित होगी. उन्होंने कहा कि एक स्टील ट्यूब में हवा के प्रेशर के नियंत्रण से यात्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाएगा. इसमें ट्यूब के भीतर एक पॉड होगा जो हवा के दबाव से चलेगा. इस पॉड में 24 लग्जरी सीट या फिर 50 बिजनेस क्लास, या फिर 80-90 इकोनोमी क्लास की सीटें होंगी. कहा जा रहा है कि यह पॉड करीब 1080 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेंगे. कंपनी का कहना है कि पॉड्स का प्रयोग सामान को भी ट्रांसपोर्ट करने के लिए किया जा सकता है.
नई दिल्ली में कंपनी के अधिकारी ने एक अखबार से बातचीत में बताया कि वह (कंपनी के सीईओ) नहीं चाहते थे कि यह विचार कंपनी (टेस्ला) के भीतर सीमित रह जाए इसलिए उन्होंने इसके लिए अलग से कंपनी बनाने का निर्णय लिया. फिलहाल स्टार्ट-अप कंपनी के कुछ अधिकारी भारत में कंपनी के प्रोजेक्ट और फंड के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में हम भारतीय निवेशकों से भी बात कर रहे हैं. कंपनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष निक अर्ल का कहना है कि दुनिया में तकनीक के मामले में सबसे ज्यादा रूचि दिखाने वाली कंपनियां भारत से हैं. उनका कहना है कि हम भारत में सरकारी तंत्र के संपर्क में ताकि इस तकनीक के संबंध में सरकार को जो भी नियम बनाने की आवश्यकता होगी उसके लिए हम जानकारी उपलब्ध कराएंगे और पूरा सहयोग करेंगे.
इस कंपनी को अन्य कंपनियों के अलावा डीपी वर्ल्ड, शेरपा कैपिटल और जीई वेन्चर्स का साथ मिला है. कंपनी का दावा है कि इस तकनीक में अभी तक उसका एकाधिकार है और टेस्ट के लिए उसकी पूरी तैयारी है. कंपनी का कहना है कि अमेरिका के नेवादा में मार्च में इस तकनीक के प्रयोग का परीक्षण किया जाएगा. परीक्षण से पहले ही कंपनी के खाते में सात प्रोजेक्ट आ गए हैं. अबुधाबी से दुबई को जोड़ने का प्रोजेक्ट कंपनी को मिला है. कंपनी का दावा है कि अभी तक उसने 160 मिलियन डॉलर जमा किए हैं.
कंपनी का कहना है कि भारत में हाईपरलूप वन के लिए दिल्ली-मुंबई, बेंगलुरु-तिरुवनंतपुरम, चेन्नई-बेंगलुरु, मुंबई-चेन्नई के अलावा पोर्ट कनेक्टर प्रोजेक्ट पर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक तेज गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन का भी विकल्प साबित होगी. उन्होंने कहा कि एक स्टील ट्यूब में हवा के प्रेशर के नियंत्रण से यात्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाएगा. इसमें ट्यूब के भीतर एक पॉड होगा जो हवा के दबाव से चलेगा. इस पॉड में 24 लग्जरी सीट या फिर 50 बिजनेस क्लास, या फिर 80-90 इकोनोमी क्लास की सीटें होंगी. कहा जा रहा है कि यह पॉड करीब 1080 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेंगे. कंपनी का कहना है कि पॉड्स का प्रयोग सामान को भी ट्रांसपोर्ट करने के लिए किया जा सकता है.
नई दिल्ली में कंपनी के अधिकारी ने एक अखबार से बातचीत में बताया कि वह (कंपनी के सीईओ) नहीं चाहते थे कि यह विचार कंपनी (टेस्ला) के भीतर सीमित रह जाए इसलिए उन्होंने इसके लिए अलग से कंपनी बनाने का निर्णय लिया. फिलहाल स्टार्ट-अप कंपनी के कुछ अधिकारी भारत में कंपनी के प्रोजेक्ट और फंड के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में हम भारतीय निवेशकों से भी बात कर रहे हैं. कंपनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष निक अर्ल का कहना है कि दुनिया में तकनीक के मामले में सबसे ज्यादा रूचि दिखाने वाली कंपनियां भारत से हैं. उनका कहना है कि हम भारत में सरकारी तंत्र के संपर्क में ताकि इस तकनीक के संबंध में सरकार को जो भी नियम बनाने की आवश्यकता होगी उसके लिए हम जानकारी उपलब्ध कराएंगे और पूरा सहयोग करेंगे.
इस कंपनी को अन्य कंपनियों के अलावा डीपी वर्ल्ड, शेरपा कैपिटल और जीई वेन्चर्स का साथ मिला है. कंपनी का दावा है कि इस तकनीक में अभी तक उसका एकाधिकार है और टेस्ट के लिए उसकी पूरी तैयारी है. कंपनी का कहना है कि अमेरिका के नेवादा में मार्च में इस तकनीक के प्रयोग का परीक्षण किया जाएगा. परीक्षण से पहले ही कंपनी के खाते में सात प्रोजेक्ट आ गए हैं. अबुधाबी से दुबई को जोड़ने का प्रोजेक्ट कंपनी को मिला है. कंपनी का दावा है कि अभी तक उसने 160 मिलियन डॉलर जमा किए हैं.
कंपनी का कहना है कि भारत में हाईपरलूप वन के लिए दिल्ली-मुंबई, बेंगलुरु-तिरुवनंतपुरम, चेन्नई-बेंगलुरु, मुंबई-चेन्नई के अलावा पोर्ट कनेक्टर प्रोजेक्ट पर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
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