हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में तनाव जारी है
श्रीनगर:
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए। कोर्ट ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए गए बयान को देखते हुए यह सुझाव दिया।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा, ' (केंद्रीय) गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा है कि पैलेट गन का विकल्प ढूंढ़ने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाएगी।' खंडपीठ ने कहा, 'पैलेट गन के इस्तेमाल को बंद करने के लिए यह बयान पर्याप्त होना चाहिए।'
चीफ जस्टिस एन. पॉल वसंत कुमार और जस्टिस मुजफ्फर हुसैन अतहर की खंडपीठ ने कहा कि सिंह के बयान का यह भी मतलब है कि पैलेट गन घातक हैं।' अदालत ने कहा कि गृहमंत्री के बयान का मतलब है कि कश्मीर में यह गैर घातक हथियार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को उचित, निष्पक्ष होना चाहिए।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जारी अशांति के दौरान जख्मी लोगों का आवश्यक उपचार किया जाए और जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है उन्हें उपचार के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा जाए। इसने कहा, 'सुनिश्चित किया जाए कि रोगियों को चिकित्सा दी जाए। उन लोगों को दूसरे अस्पताल में भेजा जाए, जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है।'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा, ' (केंद्रीय) गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा है कि पैलेट गन का विकल्प ढूंढ़ने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाएगी।' खंडपीठ ने कहा, 'पैलेट गन के इस्तेमाल को बंद करने के लिए यह बयान पर्याप्त होना चाहिए।'
चीफ जस्टिस एन. पॉल वसंत कुमार और जस्टिस मुजफ्फर हुसैन अतहर की खंडपीठ ने कहा कि सिंह के बयान का यह भी मतलब है कि पैलेट गन घातक हैं।' अदालत ने कहा कि गृहमंत्री के बयान का मतलब है कि कश्मीर में यह गैर घातक हथियार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को उचित, निष्पक्ष होना चाहिए।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जारी अशांति के दौरान जख्मी लोगों का आवश्यक उपचार किया जाए और जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है उन्हें उपचार के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा जाए। इसने कहा, 'सुनिश्चित किया जाए कि रोगियों को चिकित्सा दी जाए। उन लोगों को दूसरे अस्पताल में भेजा जाए, जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है।'
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