दिग्विजय सिंह ने गोवा में कांग्रेस की असफलता का कारण बताया
नई दिल्ली:
गोवा चुनाव को लेकर अपनी ही पार्टी में आलोचना का सामना करने वाले दिग्विजय सिंह ने एक के बाद एक ट्वीट करके अपनी ही पार्टी के नेताओं पर दोष मढ़ा है. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन का उन्होंने प्रस्ताव दिया था जिसे उनकी ही पार्टी के नेताओं ने नकार दिया था. दिग्विजय सिंह गोवा में कांग्रेस पार्टी के प्रभारी हैं. कांग्रेस को गोवा में 17 सीटें मिली थीं. वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भी उभर कर सामने आई, लेकिन सरकार बीजेपी की बन गई. इसे कांग्रेस की एक बड़ी असफलता माना जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- दिग्विजय सिंह यह भी कहते देखे गए कि अगर गोवा में त्रिशंकु नतीजे आते हैं तो सरकार हमेशा उसी की बनती है जिसकी केंद्र में होती है.
उन्होंने कहा कि गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन हो जाता तो कांग्रेस को राज्य में बहुमत मिलता और अब इस मामले में उन्हें ‘खलनायक’ बनाना ठीक नहीं है. सिंह ने सोशल मीडिया ट्विटर में सिलसिलेवार ट्वीट करके बताया, ‘रणनीति के तहत मैंने बाबुश मोनसराटेट की अगुवाई वाली क्षेत्रीय पार्टी और विजय सरदेसाई की गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा, बाबुश के साथ हमारा गठबंधन हो गया और हमने पांच में से तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन को हमारे ही नेताओं ने नकार दिया. दुखद... उल्लेखनीय है कि पणजी विधानसभा में कांग्रेस ने एंटासियो :बाबुश: मोनसराटेट की यूनाइटेड गोवा पार्टी के साथ गठबंधन किया था और उनके चार समर्थकों को पार्टी का टिकट दिया था.
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, गोवा फारवर्ड को चार में से तीन सीटों पर जीत मिली. अगर हमने गोवा फारवर्ड के साथ गठबंधन किया होता, तो हमारे पास 22 सीटें होतीं. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘फिर भी दिग्विजय दोषी हैं? मैं इसका निर्णय आप पर छोड़ता हूं. (तेजी का सवाल? : गोवा में यह रही बीजेपी की रणनीति, कांग्रेस जीतकर भी हार गई)
उन्होंने कहा कि गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन हो जाता तो कांग्रेस को राज्य में बहुमत मिलता और अब इस मामले में उन्हें ‘खलनायक’ बनाना ठीक नहीं है. सिंह ने सोशल मीडिया ट्विटर में सिलसिलेवार ट्वीट करके बताया, ‘रणनीति के तहत मैंने बाबुश मोनसराटेट की अगुवाई वाली क्षेत्रीय पार्टी और विजय सरदेसाई की गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा, बाबुश के साथ हमारा गठबंधन हो गया और हमने पांच में से तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन को हमारे ही नेताओं ने नकार दिया. दुखद... उल्लेखनीय है कि पणजी विधानसभा में कांग्रेस ने एंटासियो :बाबुश: मोनसराटेट की यूनाइटेड गोवा पार्टी के साथ गठबंधन किया था और उनके चार समर्थकों को पार्टी का टिकट दिया था.
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, गोवा फारवर्ड को चार में से तीन सीटों पर जीत मिली. अगर हमने गोवा फारवर्ड के साथ गठबंधन किया होता, तो हमारे पास 22 सीटें होतीं. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘फिर भी दिग्विजय दोषी हैं? मैं इसका निर्णय आप पर छोड़ता हूं. (तेजी का सवाल? : गोवा में यह रही बीजेपी की रणनीति, कांग्रेस जीतकर भी हार गई)
As a strategy I had proposed a secular alliance with regional party headed by Babush Monserrate and Goa Forward headed by Vijay Sardesai.
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 17, 2017
Our alliance with Babush went through and we won 3 out of 5 but our alliance with Goa Forward was sabotaged by our own leaders. Sad !
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 17, 2017
Goa Forward won 3 out of 4 they contested. Had our alliance with Goa Forward gone through we would have been 22.
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 17, 2017
गौरतलब है कि गोवा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 40 में से 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी है और खबरों के अनुसार उसे एक निर्दलीय का भी समर्थन हासिल था. संख्याबल पर नजर डालें तो कांग्रेस बहुमत के लिए आवश्यक 21 सीटों से महज तीन सीट पीछे थी. कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के पास महज 13 सीटें थीं. ऐसे में कांग्रेस के लिए बहुमत जुटाना ज्यादा कठिन काम नहीं था, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं दिखे और बीजेपी को सरकार बनाने का आमंत्रण मिल गया.Still Digvijaya Guilty? I leave it to you to judge.
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 17, 2017
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