भारत-श्रीलंका के बीच हिंद महासागर में राम सेतु होने के दावे को लेकर समय समय पर बहस होती रही है. हरियाणा से राज्यसभा के निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा ने शुक्रवार को राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया. कार्तिकेय ने राज्यसभा में सवाल करते हुए कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सरकार हमारे गौरवशाली इतिहास को लेकर कोई वैज्ञानिक शोध कर रही है? पिछली सरकारों ने इस मुद्दे पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. सरकार की तरफ से जवाब देते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि राम सेतु को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं.
जितेंद्र सिंह ने कहा, मुझे खुशी हो रही है कि हमारे सांसद ने राम सेतु को लेकर सवाल किया. इसे लेकर हमारी कुछ सीमाएं हैं. क्योंकि ये करीब 18 हजार साल पहले का इतिहास है. जिस ब्रिज की बात हो रही है वो करीब 56 किमी लंबा था. स्पेस टेक्नोलॉजी के जरिए हमने पता लगाया कि समुद्र में पत्थरों के कुछ टुकड़े पाए गए हैं, इनमें कुछ ऐसी आकृति है जो निरंतरता को दिखाती हैं. समुद्र में कुछ आइलैंड और चूना पत्थर जैसी चीजें दिखीं हैं.
जितेंद्र सिंह ने कहा, 'अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो ये कहना मुश्किल है कि राम सेतु का वास्तविक स्वरूप वहां मौजूद है. हालांकि, कुछ संकेत ऐसे भी हैं जिनसे ये पता चलता है कि स्ट्रक्चर वहां मौजूद हो सकता है. हम लगातार प्राचीन द्वारका शहर और ऐसे मामलों की जांच के लिए काम कर रहे हैं.'
कांग्रेस राम सेतु के अस्तित्व पर उठाती आई है सवाल
दरअसल, राम सेतु को लेकर पहले से ही कई तरह की थ्योरी सामने आती रही हैं, बीजेपी लगातार कांग्रेस पर ये आरोप लगाती आई है कि वो राम सेतु के अस्तित्व को नहीं मानती. वहीं अब सरकार के संसद में जवाब से मामला और गरमा गया है. अब कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही है.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ट्विटर पर सरकार के इस जवाब को पोस्ट करते हुए लिखा, "सभी भक्त जन कान खोल कर सुन लो और आंखें खोल कर देख लो. मोदी सरकार संसद में कह रही है कि राम सेतु होने का कोई प्रमाण नहीं है." पवन खेड़ा के अलावा तमाम विपक्षी नेता अब इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं और कह रहे हैं कि बीजेपी की असली सच्चाई सामने आ गई है.
क्या है विवाद?
राम सेतु को लेकर कई पौराणिक कथाओं का हवाला देते हुए दावे किए जाते हैं. सबसे बड़ा दावा ये है कि भगवान राम ने इस सेतु को लंका पर चढ़ाई करने के लिए बनाया था. जिसमें वानर सेना ने मदद की थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष की तरफ से दावा किया जाता है कि आदम ने इस पुल को बनाया था. अगर साइंटिफिक रिसर्च की बात करें तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि समुद्र में उस जगह पानी उथला होने के चलते पत्थर दिखने लगे हैं. इसे लेकर साल 2007 में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ऐसे कोई भी प्रमाण नहीं है कि कथित राम सेतु को इंसानों ने बनाया था. इसे लेकर जमकर हंगामा हुआ था, जिसका जिक्र आज भी बीजेपी के कई नेता करते हैं.
भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच लाइम स्टोन की चेन है. इसे भारत में राम सेतु और दुनियाभर में एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से जाना जाता है. इस पुल की लंबाई करीब 48 किमी है. ये पुल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरू मध्य को एक दूसरे से अलग करता है. इस इलाके में समुद्र बेहद उथला है, जिससे यहां बड़ी नाव और समुद्री जहाज चलाने में परेशानी आती है.
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