वसुंधरा राजे की सरकार के लिए धौलपुर उपचुनाव काफी अहमियत रखता था
धौलपुर:
राजस्थान के धौलपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए गुरुवार को हुई मतगणना में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को लगभग चालीस हजार वोटों के रिकॉर्ड मार्जिन से परास्त कर दिया है. धौलपुर के लिए उपचुनाव नौ अप्रैल को हुआ था. धौलपुर विधानसभा सीट पिछले साल खाली हुई थी, जब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक बनवारी लाल कुशवाहा हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए थे और इस कारण अयोग्य करार दिए गए थे. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने दोषी बसपा नेता की पत्नी शोभा रानी कुशवाहा को यहां से टिकट दिया जिन्होंने इस निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल कर ली है.
दोषी बसपा नेता की पत्नी भाजपा की शोभा रानी कुशवाहा कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा से काफी आगे चल रही थीं. इस सीट के लिए कुल 15 उम्मीदवार मैदान में थे. यह उपचुनाव कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा दोनों के लिए साख का सवाल था और इस बात से इसका साफ पता चलता है कि खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा के राज्य प्रभारी अशेक परनामी और उनके कैबिनेट सहकर्मियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए यहां कई दिन बिताए थे.
कांग्रेस में भी राज्य प्रभारी सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा में विपक्ष के नेता रामेश्वर दुदी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट जुटाने के लिए निर्वाचन क्षेत्र में व्यापक प्रचार किए थे. 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में बेहद शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था, जब पार्टी को 200 सीटों में से केवल 21 पर ही जीत हासिल हुई थी. भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 163 सीटें जीत ली थीं. फिलहाल सदन में भाजपा की 160 और कांग्रेस की 24 सीटें हैं.
दोषी बसपा नेता की पत्नी भाजपा की शोभा रानी कुशवाहा कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा से काफी आगे चल रही थीं. इस सीट के लिए कुल 15 उम्मीदवार मैदान में थे. यह उपचुनाव कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा दोनों के लिए साख का सवाल था और इस बात से इसका साफ पता चलता है कि खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा के राज्य प्रभारी अशेक परनामी और उनके कैबिनेट सहकर्मियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए यहां कई दिन बिताए थे.
कांग्रेस में भी राज्य प्रभारी सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा में विपक्ष के नेता रामेश्वर दुदी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट जुटाने के लिए निर्वाचन क्षेत्र में व्यापक प्रचार किए थे. 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में बेहद शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था, जब पार्टी को 200 सीटों में से केवल 21 पर ही जीत हासिल हुई थी. भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 163 सीटें जीत ली थीं. फिलहाल सदन में भाजपा की 160 और कांग्रेस की 24 सीटें हैं.
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