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This Article is From Jul 30, 2017

छह महीने की थी ड्यूटी, लेकिन 34 महीने बाद भी काम कर रहा है मंगलयान

इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि मंगलयान को केवल ‘यान’ नहीं, बल्कि ‘महायान’ कहना उचित होगा.

छह महीने की थी ड्यूटी, लेकिन 34 महीने बाद भी काम कर रहा है मंगलयान
24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचा था मंगलयान (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: अंतरिक्ष के इतिहास में भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख देने वाला मंगलयान लाल ग्रह का अध्ययन करने के लिए छह महीने के मिशन पर भेजा गया था, लेकिन यह 34 महीने बाद भी काम कर रहा है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों को लगातार मंगल ग्रह की तस्वीरें तथा डेटा भेज रहा है. वैज्ञानिक इस महायान के हुनर से गदगद हैं. इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि मंगलयान को केवल ‘यान’ नहीं, बल्कि ‘महायान’ कहना उचित होगा जो छह महीने की अपनी मिशन अविध पूरी करने के बाद आज 34 महीने बाद भी काम कर रहा है और रोजाना मंगल ग्रह के विभिन्न पहलुओं से संबंधित तस्वीरें और डेटा भेज रहा है. उन्होंने मंगलयान को भारत के अंतिरक्ष इतिहास का सबसे बड़ा मिशन करार देते हुए कहा कि इस मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) का प्रदर्शन अंतरिक्ष विज्ञानियों को प्रसन्न कर देने वाला है.

पांच नवंबर 2013 को मंगल यात्रा पर भेजे गए इस यान ने 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचकर इतिहास रच दिया था और इसके साथ ही भारत अपने पहले प्रयास में ही मंगल पर पहुंच जाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. मंगल पर पहुंचने वाले अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों को कई प्रयासों में सफलता मिली थी.

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यान के मंगल की कक्षा में पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘मॉम (एमओएम) का मंगल से मिलन.’ इसरो के अधिकारी ने बताया कि मंगलयान को छह महीने के मिशन पर भेजा गया था जो इसने 24 मार्च 2015 को पूरा कर लिया, लेकिन यह आज 34 महीने बाद भी मंगल के अध्ययन में भारतीय अंतिरक्ष विज्ञानियों को लगातार डेटा उपलब्ध करा रहा है.

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महज 450 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ यान 24 सितंबर 2014 से लाल ग्रह का लगातार चक्कर लगा रहा है. इस दौरान इसने मंगल की सतह, वहां की घाटियों, पर्वतों, बादलों और वहां उठने वाले धूल भरे तूफानों की शानदार तस्वीरें तथा डेटा मुहैया कराया है.

मंगलयान अपने साथ पांच पेलोड लेकर गया था जिनमें मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), मीथेन सेंसर फॉर मार्स (एमएसएम), लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी), मार्स एक्सोस्फेयरिक न्यूट्रल कंपोजीशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस) शामिल हैं. मंगलयान लगभग तीन दिन में मंगल की कक्षा का एक चक्कर पूरा करता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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