रेप केस के दोषी राम रहीम को 2 महीने के अंदर मिली दूसरी पैरोल, 40 दिन तक यूपी के आश्रम में रहेगा

साध्वी यौन शोषण, छत्रपति रामचंद्र और रणजीत हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे राम रहीम ने 2022 में पैरोल के अलावा 21 दिन की फरलो भी ली थी. 40 दिन की पैरोल में उसने नशे पर तीन गाने भी लॉन्च किए.

चंडीगढ़:

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह (Gurmeet Ram Rahim Singh) को शुक्रवार को फिर 40 दिन की पैरोल दी गई. अपनी दो शिष्याओं के साथ बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे राम रहीम को तीन महीने पहले भी 40 दिन की पैरोल (Ram Rahim Singh parole) दी गई थी. डेरा प्रमुख की आखिरी 40 दिन की पैरोल पिछले साल 25 नवंबर को खत्म हुई थी. वह 14 अक्टूबर को रिहा होने के बाद उत्तर प्रदेश में अपने बरनावा आश्रम गया था. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

रोहतक के संभागीय आयुक्त संजीव वर्मा ने फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया, “पैरोल 40 दिनों के लिए प्रदान की गई है. यह नियमानुसार है. राम रहीम हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है. पैरोल पर बाहर आने के बाद वह 40 दिन यूपी के बरनावा आश्रम में रहेगा. राम रहीम को इससे पहले पिछले साल 2022 में 3 बार पैरोल मिली थी और वह 91 दिन जेल से बाहर रहा था.

इससे पहले, हरियाणा के जेल मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने डेरा प्रमुख की ताजा पैरोल याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि डेरा प्रमुख ने 40 दिनों के पैरोल के लिए एक आवेदन दायर किया था, जिसे रोहतक संभागीय आयुक्त को भेज दिया गया था. सूत्रों ने बताया कि अपनी पैरोल अवधि के दौरान डेरा प्रमुख के 25 जनवरी को पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह की जयंती कार्यक्रम में भी शामिल होने की संभावना है.

पिछली पैरोल में लॉन्च किए थे 3 गाने
साध्वी यौन शोषण, छत्रपति रामचंद्र और रणजीत हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे राम रहीम ने 2022 में पैरोल के अलावा 21 दिन की फरलो भी ली थी. 40 दिन की पैरोल में उसने नशे पर तीन गाने भी लॉन्च किए. 

क्या है पैरोल और फरलो?
फरलो का मतलब जेल से मिलने वाली छुट्‌टी से है. यह पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है. एक साल में कैदी तीन बार फरलो ले सकता है. इसकी कुल अवधि 7 सप्ताह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. ठोस कारणों की स्थिति में फरलो 120 दिन के लिए मंजूर की जा सकती है.

वहीं, पैरोल के लिए कारण बताना जरूरी होता है. यह जेल अधीक्षक की देखरेख में ही दी जाती है. इसके नियम सख्त होते हैं. महाराष्ट्र प्रिजन मैन्युअल के तहत सालभर में किसी कैदी को अधिकतम 90 दिन की पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. पैरोल और फरलो के लिए यह भी जरूरी है कि कैदी ने इससे पहले तीन साल की सजा पूरी कर ली और जेल में उसका बर्ताव अच्छा हो. (भाषा इनपुट के साथ)
 

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