नायडू ने कहा कि नोटबंदी एक अहम व्यवहारगत परिवर्तन परियोजना है.
नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि नोटबंदी का मकसद लोगों में व्यवहारगत बदलाव लाना था, जैसा कि विगत ढाई साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान सहित अहम पहलों के जरिये करने का प्रयास किया गया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोगों की ''मानसिकता में परिवर्तन'' और बदलाव लाना मोदी का मिशन है.
उन्होंने कहा, ''अगर आप बीते ढाई साल के अहम पहलों को देखें तो मानसिकता में बदलाव लाने की उत्कंठा साफ झलकती है. मोदीजी चाहते हैं कि लोग सोचें और अलग तरीके से काम करें.'' नायडू ने कहा, ''स्वच्छ भारत अभियान क्या है? मूल रूप से यह नागरिकों को कोई भी कचरा खुले में फेंकने से पहले सोचने के लिए कहता है.''
उन्होंने कहा, ''बड़े नोटों को अमान्य करने का उद्देश्य भी पैसे के प्रति हमारी सोच और नकद खर्च करने के तरीके के प्रति नजरिये में बदलाव लाना है. यह एक अहम व्यवहारगत परिवर्तन परियोजना है. नोटबंदी से लोगों में व्यवहारगत बदलाव लाना है.''
स्वच्छ भारत योजना शुरू करने से पहले उनसे कही गई प्रधानमंत्री की बातों का जिक्र करते हुए नायडू ने बताया, ''प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस परियोजना को राजनीतिक या सरकारी कार्यक्रम नहीं बनाया जाना चाहिए.'' शहरी विकास मंत्री नायडू ने कहा, ''जब उन्होंने कहा था कि इसे राजनीतिक या सरकारी कार्यक्रम नहीं बनाया जाए, तब शुरू में मैं समझ नहीं पाया. फिर उन्होंने अगला वाक्य कहा-इसे जन आंदोलन बनाइए. यही वो व्यवहारगत बदलाव है जो वह लाना चाहते हैं.''
नायडू ने कहा, ''यहां तक कि स्वच्छ भारत के लिए अपना समर्थन जता चुके बिल गेट्स ने भी मुझसे कहा था, मिस्टर नायडू, पैसा मुद्दा नहीं है, सोच मुद्दा है.'' 'मुद्रा योजना', 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजनाओं जैसी सरकार की कई पहलों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक योजना का मकसद कमजोर वर्गों के प्रति बैंकों के रुख में बदलाव लाना है जबकि अन्य योजना महिलाओं के प्रति रवैये में बदलाव की बात करती है.
उन्होंने कहा, ''यह बदलाव आप हरियाणा में खासकर पुरुष-महिला अनुपात के संदर्भ में देखते हैं.'' मंत्री ने कहा कि मोदी अब फसल बीमा पर जोर दे रहे हैं जिसका उद्देश्य किसानों के नजरिए में बदलाव लाना है.
उन्होंने कहा, ''लोग बीमा की बात करते हैं लेकिन वे अपना प्रीमियम अदा करने के इच्छुक नहीं होते हैं. तो अब उन्होंने एक आकर्षक ऑफर दिया है, मैं आपके प्रीमियम का कुछ हिस्सा अदा करूंगा, आप भी इसमें योगदान दीजिए. आपने उनमें आत्मविश्वास भरा क्योंकि निराशा हावी हो रही थी और किसान खुदकुशी कर रहे थे.'' सब्सिडी के मामले का हवाला देते हुए वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संपन्न लोगों से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ''कुछ लोगों ने इस विचार का मजाक उड़ाया, लेकिन उन्होंने दिखाया कि एक करोड़ 10 लाख लोगों ने स्वेच्छा से अपनी सब्सिडी छोड़ी है, जिसे अब गरीब लोगों को दिया जा रहा है. पांच करोड़ लोगों को अब गैस कनेक्शन मिलने जा रहा है. यह एलपीजी सब्सिडी भी एक बार फिर एक सरल व्यवहारगत बदलाव है. उन्हें इस पर भारी प्रतिक्रिया मिली.''
नायडू ने कहा, ''ममता जी (ममता बनर्जी) खुद को नेता के तौर पर पेश करना चाहती हैं. राहुल को लगता है कि नेता बनने के वह स्वाभाविक दावेदार हैं. वामपंथी और तृणमूल कांग्रेस साथ नहीं जा सकते. ऐसे में कोई वैचारिक गठजोड़ नहीं है तथा ऐसा कोई दिग्गज व्यक्तित्व नहीं है जो विपक्ष का नेतृत्व करने का नैतिक प्राधिकार रखता हो.'' उन्होंने कहा, ''वे मोदी के अंधविरोध में साथ आ रहे हैं. वे इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि लोगों ने मोदी को जनादेश दिया और एक आम व्यक्ति प्रधानमंत्री बन गया तथा वह रोजाना लोकप्रिय हो रहा है.'' नायडू ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश की राजनीति के नियम काफी हद तक बदले हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''लोग कहा करते थे कि आप विकास के एजेंडे पर चुनाव नहीं जीत सकते. मोदीजी ने दिखाया कि आप विकास के मुद्दे पर भी चुनाव जीत सकते हैं.'' उन्होंने कहा कि मोदी ने गुजरात में साबित किया और मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में भाजपा तीन बार विकास के एजेंडे पर चुनाव जीत गई. नायडू ने कहा कि नोटबंदी के बाद भाजपा ने गुजरात में 80 फीसदी पंचायत सीटों पर चुनाव जीता.
उन्होंने कहा, ''नए राजनीतिक समीकरण में लोगों की वास्तविक आकांक्षाएं परिलक्षित होनी चाहिए. जनता खोखले वादे नहीं चाहती. लोग कुछ ऐसा चाहते हैं जिससे उनका जीवन स्तर सुधरे.'' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जमीनी हकीकत यह है कि आम लोगों ने नोटबंदी के फैसले का पूरा समर्थन किया है.
उन्होंने कहा, ''इसी बात से कांग्रेस और कुछ विरोधी दल परेशान हैं. संवेदनशील नेता और पार्टियां इस तथ्य को जानते हैं. नीतीश कुमार और नवीन पटनायक ने नोटबंदी का समर्थन किया है तथा भ्रष्टाचार एवं दूसरे संबंधित मुद्दों को लेकर कड़े कदम उठाने का आह्वान किया है.'' नायडू ने कहा कि जनता परिवार का प्रयोग भी लोकतंत्र को वापस लाने के मकसद से किया गया था.
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने पहले 'भारत बंद' का आह्वान किया, लेकिन जब पाया कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है तो उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया. नायडू ने कहा कि फिर उन्होंने आक्रोश रैली का आयोजन किया जो फ्लॉप रही.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, ''अगर आप बीते ढाई साल के अहम पहलों को देखें तो मानसिकता में बदलाव लाने की उत्कंठा साफ झलकती है. मोदीजी चाहते हैं कि लोग सोचें और अलग तरीके से काम करें.'' नायडू ने कहा, ''स्वच्छ भारत अभियान क्या है? मूल रूप से यह नागरिकों को कोई भी कचरा खुले में फेंकने से पहले सोचने के लिए कहता है.''
उन्होंने कहा, ''बड़े नोटों को अमान्य करने का उद्देश्य भी पैसे के प्रति हमारी सोच और नकद खर्च करने के तरीके के प्रति नजरिये में बदलाव लाना है. यह एक अहम व्यवहारगत परिवर्तन परियोजना है. नोटबंदी से लोगों में व्यवहारगत बदलाव लाना है.''
स्वच्छ भारत योजना शुरू करने से पहले उनसे कही गई प्रधानमंत्री की बातों का जिक्र करते हुए नायडू ने बताया, ''प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस परियोजना को राजनीतिक या सरकारी कार्यक्रम नहीं बनाया जाना चाहिए.'' शहरी विकास मंत्री नायडू ने कहा, ''जब उन्होंने कहा था कि इसे राजनीतिक या सरकारी कार्यक्रम नहीं बनाया जाए, तब शुरू में मैं समझ नहीं पाया. फिर उन्होंने अगला वाक्य कहा-इसे जन आंदोलन बनाइए. यही वो व्यवहारगत बदलाव है जो वह लाना चाहते हैं.''
नायडू ने कहा, ''यहां तक कि स्वच्छ भारत के लिए अपना समर्थन जता चुके बिल गेट्स ने भी मुझसे कहा था, मिस्टर नायडू, पैसा मुद्दा नहीं है, सोच मुद्दा है.'' 'मुद्रा योजना', 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजनाओं जैसी सरकार की कई पहलों का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक योजना का मकसद कमजोर वर्गों के प्रति बैंकों के रुख में बदलाव लाना है जबकि अन्य योजना महिलाओं के प्रति रवैये में बदलाव की बात करती है.
उन्होंने कहा, ''यह बदलाव आप हरियाणा में खासकर पुरुष-महिला अनुपात के संदर्भ में देखते हैं.'' मंत्री ने कहा कि मोदी अब फसल बीमा पर जोर दे रहे हैं जिसका उद्देश्य किसानों के नजरिए में बदलाव लाना है.
उन्होंने कहा, ''लोग बीमा की बात करते हैं लेकिन वे अपना प्रीमियम अदा करने के इच्छुक नहीं होते हैं. तो अब उन्होंने एक आकर्षक ऑफर दिया है, मैं आपके प्रीमियम का कुछ हिस्सा अदा करूंगा, आप भी इसमें योगदान दीजिए. आपने उनमें आत्मविश्वास भरा क्योंकि निराशा हावी हो रही थी और किसान खुदकुशी कर रहे थे.'' सब्सिडी के मामले का हवाला देते हुए वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संपन्न लोगों से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ''कुछ लोगों ने इस विचार का मजाक उड़ाया, लेकिन उन्होंने दिखाया कि एक करोड़ 10 लाख लोगों ने स्वेच्छा से अपनी सब्सिडी छोड़ी है, जिसे अब गरीब लोगों को दिया जा रहा है. पांच करोड़ लोगों को अब गैस कनेक्शन मिलने जा रहा है. यह एलपीजी सब्सिडी भी एक बार फिर एक सरल व्यवहारगत बदलाव है. उन्हें इस पर भारी प्रतिक्रिया मिली.''
नायडू ने कहा, ''ममता जी (ममता बनर्जी) खुद को नेता के तौर पर पेश करना चाहती हैं. राहुल को लगता है कि नेता बनने के वह स्वाभाविक दावेदार हैं. वामपंथी और तृणमूल कांग्रेस साथ नहीं जा सकते. ऐसे में कोई वैचारिक गठजोड़ नहीं है तथा ऐसा कोई दिग्गज व्यक्तित्व नहीं है जो विपक्ष का नेतृत्व करने का नैतिक प्राधिकार रखता हो.'' उन्होंने कहा, ''वे मोदी के अंधविरोध में साथ आ रहे हैं. वे इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि लोगों ने मोदी को जनादेश दिया और एक आम व्यक्ति प्रधानमंत्री बन गया तथा वह रोजाना लोकप्रिय हो रहा है.'' नायडू ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश की राजनीति के नियम काफी हद तक बदले हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''लोग कहा करते थे कि आप विकास के एजेंडे पर चुनाव नहीं जीत सकते. मोदीजी ने दिखाया कि आप विकास के मुद्दे पर भी चुनाव जीत सकते हैं.'' उन्होंने कहा कि मोदी ने गुजरात में साबित किया और मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में भाजपा तीन बार विकास के एजेंडे पर चुनाव जीत गई. नायडू ने कहा कि नोटबंदी के बाद भाजपा ने गुजरात में 80 फीसदी पंचायत सीटों पर चुनाव जीता.
उन्होंने कहा, ''नए राजनीतिक समीकरण में लोगों की वास्तविक आकांक्षाएं परिलक्षित होनी चाहिए. जनता खोखले वादे नहीं चाहती. लोग कुछ ऐसा चाहते हैं जिससे उनका जीवन स्तर सुधरे.'' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जमीनी हकीकत यह है कि आम लोगों ने नोटबंदी के फैसले का पूरा समर्थन किया है.
उन्होंने कहा, ''इसी बात से कांग्रेस और कुछ विरोधी दल परेशान हैं. संवेदनशील नेता और पार्टियां इस तथ्य को जानते हैं. नीतीश कुमार और नवीन पटनायक ने नोटबंदी का समर्थन किया है तथा भ्रष्टाचार एवं दूसरे संबंधित मुद्दों को लेकर कड़े कदम उठाने का आह्वान किया है.'' नायडू ने कहा कि जनता परिवार का प्रयोग भी लोकतंत्र को वापस लाने के मकसद से किया गया था.
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने पहले 'भारत बंद' का आह्वान किया, लेकिन जब पाया कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है तो उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया. नायडू ने कहा कि फिर उन्होंने आक्रोश रैली का आयोजन किया जो फ्लॉप रही.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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