ऐप-आधारित फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर हैदराबाद (Hyderabad) के एक कस्टमर की ओर से किए गए एक असामान्य अनुरोध ने सोशल मीडिया (Social Media) पर नाराजगी पैदा कर दी है. कई लोगों ने उसे कट्टरता के लिए लताड़ा है. स्विगी (Swiggy) के जरिए रेस्तरां को अपने निर्देश में कस्टमर ने कहा कि उसे डिलीवरी करने वाला व्यक्ति मुस्लिम (Muslim) नहीं होना चाहिए.
गिग इकॉनामी (Gig Economy) में कार्यरत वर्करों के एक संगठन के प्रमुख शेख सलाउद्दीन ने स्विगी के आर्डर का स्क्रीनशॉट शेयर किया और स्विगी से इसके खिलाफ स्टैंड लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, हम यहां एक नहीं, सभी को खाना पहुंचाने के लिए हैं, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो या सिख हो.
उन्होंने ट्वीट किया "प्रिय स्विगी कृपया इस तरह के अनुरोध के खिलाफ स्टैंड लें. हम (डिलीवरी वर्कर) यहां सभी को खाना पहुंचाने के लिए हैं, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या सिख हो. स्विगी मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना."
Dear @Swiggy please take a stand against such a bigoted request. We (Delivery workers) are here to deliver food to one and all, be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh @Swiggy @TGPWU Mazhab Nahi Sikhata Aapas Mein Bair Rakhna #SareJahanSeAchhaHindustanHamara#JaiHind #JaiTelangana pic.twitter.com/XLmz9scJpH
— Shaik Salauddin (@ShaikTgfwda) August 30, 2022
स्विगी ने अभी तक इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. नाराजगी जताने वालों में कर्नाटक के कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम भी शामिल हैं. उन्होंने स्विगी को टैग करते हुए ट्वीट किया- "प्लेटफ़ॉर्म कंपनियां यह बैठे-बैठे नहीं देख सकतीं क्योंकि गिग वर्कर्स को धर्म के नाम पर इस तरह की कट्टरता का सामना करना पड़ता है. ऐसी कंपनियां गिग वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा के लिए क्या कार्रवाई करेंगी?"
Platform companies cannot sit back and watch as gig workers face such blatant bigotry in the name of religion. What action will such companies take to safeguard the rights of gig workers? @Swiggy @TGPWU @Connect_IFAT
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) August 31, 2022
पूर्व में भी इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. साल 2019 में ऐप-आधारित फूड डिलीवरी सर्विस जोमेटो (Zomato) पर इसी तरह के एक मामले में एक व्यक्ति की ओर से डिलीवरी करने वाले व्यक्ति के अलग धर्म का होने पर अपना ऑर्डर रद्द किया गया था. इसके बाद जोमेटो के स्टैंड लेने पर उसकी ऑनलाइन काफी प्रशंसा हुई थी. राइडर बदलने के ग्राहक के अनुरोध के जवाब में कंपनी ने ट्वीट किया था, "खाने का कोई धर्म नहीं होता, यह एक धर्म है।"
Zomato के रुख का समर्थन करते हुए कंपनी के संस्थापक ने अपने व्यक्तिगत एकाउंट से ट्वीट किया कि उन्हें अपने मूल्यों में आड़े आने वाले किसी भी व्यवसाय को खोने का खेद नहीं है. उन्होंने ट्वीट किया, "हमें भारत के विचार और हमारे सम्मानित ग्राहकों और भागीदारों की विविधता पर गर्व है. हमें अपने मूल्यों के आड़े आने वाले किसी भी व्यवसाय को खोने का खेद नहीं है."
ऐप-आधारित प्लेटफार्मों की भूमिका और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में कई सार्वजनिक बहसें हुई हैं. कई लोगों को लगता है कि ऐसे प्लेटफॉर्म केवल एक मध्यस्थ होने का दावा करते हुए व्यवसायों और यूजरों से खुद को अलग करके जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते.
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