प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
केंद्र ने 16 दिसंबर, 2012 को हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह में रखे जाने की अवधि बढ़ाए जाने के लिए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से अपील की। नाबालिग को रविवार को रिहा किया जाना है। केंद्र ने कहा कि नाबालिग दोषी की रिहाई के बाद उसके पुनर्वास की योजना में कई आवश्यक बातें नदारद हैं जिन पर उसकी रिहाई से पूर्व विचार किए जाने की आवश्यकता है।
अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा जमा की गई रिहाई के बाद की योजना को ध्यान से पढने और दलीलों की संक्षिप्त सुनवाई के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की नाबालिग की रिहाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने जिन चिंताओं को सूचीबद्ध किया, उनमें मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का कोई जिक्र नहीं होना और अन्य बातों को शामिल किया गया है। उन्होंने नाबालिग को सुधार गृह में रखे जाने की अवधि तब तक बढाने की अपील की जब तक रिहाई के बाद की योजना में नदारद सभी बातों पर विचार नहीं कर लिया जाता।
स्वामी ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ को बताया कि भले ही नाबालिग को सुधार गृह में रखे जाने की अवधि पूरी हो गई हो लेकिन अदालत उसकी गतिविधियों पर ‘प्रतिबंध लगा’ सकती है।
अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा जमा की गई रिहाई के बाद की योजना को ध्यान से पढने और दलीलों की संक्षिप्त सुनवाई के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की नाबालिग की रिहाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने जिन चिंताओं को सूचीबद्ध किया, उनमें मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का कोई जिक्र नहीं होना और अन्य बातों को शामिल किया गया है। उन्होंने नाबालिग को सुधार गृह में रखे जाने की अवधि तब तक बढाने की अपील की जब तक रिहाई के बाद की योजना में नदारद सभी बातों पर विचार नहीं कर लिया जाता।
स्वामी ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ को बताया कि भले ही नाबालिग को सुधार गृह में रखे जाने की अवधि पूरी हो गई हो लेकिन अदालत उसकी गतिविधियों पर ‘प्रतिबंध लगा’ सकती है।
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