
- दिल्ली पुलिस ने ममता बनर्जी के सोशल मीडिया पोस्ट में लगाए आरोपों को खारिज कर दिया है.
- उन्होंने कहा था कि एक मां-बेटे को दिल्ली में सिर्फ इसलिए परेशान किया गया क्योंकि वे बंगाली भाषा बोलते हैं.
- दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया है मामला झूठा है और पुलिसिया उत्पीड़न, अपहरण या फिरौती की घटना नहीं हुई.
दिल्ली पुलिस ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 27 जुलाई को किए गए एक्स पोस्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि एक बंगाली बोलने वाली महिला और उसके बेटे के साथ दिल्ली में आधार वेरिफिकेशन के नाम पर मारपीट और उत्पीड़न हुआ. ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा था कि एक महिला और उसके बेटे को दिल्ली में सिर्फ इसलिए परेशान किया गया क्योंकि वे बंगाली भाषा बोलते हैं. उन्होंने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन और लोकतंत्र पर हमला बताया था.
दिल्ली की पूर्वी जिला पुलिस ने इस मामले की जांच की है. जांच में पता चला कि वायरल वीडियो में दिख रही महिला का नाम सजनूर परवीन है, जो अपने पति मुख्तार खान और सास के साथ दिल्ली के पश्चिम विनोद नगर में रहती हैं.
#WATCH | Delhi: On West Bengal CM Mamata Banerjee's X post on a Bengali migrant family beaten by Delhi police, DCP East Delhi, Abhishek Dhania, says, "West Bengal CM posted on 'X' that a Bengali-speaking woman and her child were assaulted by the Delhi Police. Right after… pic.twitter.com/q9yr3L8iv7
— ANI (@ANI) July 28, 2025
महिला ने शुरू में सुनाई थी ये कहानी
महिला ने शुरुआती बयान में कहा कि 25 जुलाई को चार लोग सिविल ड्रेस में उनके घर आए और खुद को पुलिसकर्मी बताकर उन्हें आधार वेरिफिकेशन के बहाने परेशान किया और बांग्लादेशी बताया. फिर अगले दिन 26 जुलाई को उन्हीं चार लोगों ने कथित रूप से उन्हें उनके बच्चों सहित पार्क में ले जाकर बंधक बना लिया और 25,000 रुपये की फिरौती मांगकर छोड़ा.
... लेकिन सच्चाई कुछ और ही निकली
ये हैं जांच के मुख्य बिंदु:
- CCTV फुटेज: जिस समय महिला ने जबरन उठाए जाने की बात कही, उसी वक्त का CCTV फुटेज साफ दिखाता है कि वह दोपहर 12:03 बजे अपने बच्चों के साथ खुद अकेली घर से बाहर निकल रही हैं.
- मोबाइल लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड: कथित फिरौती कॉल्स या किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा उन्हें ले जाने का कोई सबूत नहीं मिला. कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स और लोकेशन डेटा महिला की कहानी से मेल नहीं खाते हैं.
- प्रत्यक्षदर्शियों के बयान: घटनास्थल के आसपास मौजूद चश्मदीद गवाहों ने भी महिला के बयान को नकार दिया.
- महिला ने कबूल की साजिश: जब सबूतों के साथ महिला से पूछताछ की गई तो उसने खुद मान लिया कि पूरी कहानी झूठी है और उसने ये बयान कुछ लोगों के बहकावे में आकर दिए. महिला ने बताया कि 26 जुलाई को वह रास्ता भटक गई थी और फिर उसके मामा (जो एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं) के जरिए एक पत्रकार से संपर्क किया गया. पत्रकार के कहने पर यह झूठी कहानी गढ़ी गई और वीडियो मीडिया में वायरल किया गया.
पुलिस ज्यादती या फिरौती वसूली की घटना नहीं घटी: पुलिस
तकनीकी जांच और गवाहों के बयान ने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी पुलिसिया उत्पीड़न, अपहरण या फिरौती की घटना नहीं हुई.
जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने साफ कहा है कि वायरल वीडियो और सोशल मीडिया पर चल रही कहानी पूरी तरह मनगढ़ंत और झूठी है. किसी भी तरह की पुलिस ज्यादती या फिरौती वसूली की घटना नहीं घटी है.
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