दिल्ली उच्च न्यायालय ने वकीलों और दमकल सेवा के अधिकारियों के एक दल से मुखर्जी नगर इलाके में चल रहे कोचिंग केंद्रों का निरीक्षण कराने का शुक्रवार को निर्देश देते हुए उनकी स्थिति और सुरक्षा के संबंध में रिपोर्ट मांगी है. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा की पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को भी इलाके में कोचिंग केंद्रों की कुल संख्या बताते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है.
अदालत का आदेश इलाके में चल रहे कोचिंग केंद्रों के संचालन से जुड़े कई मामलों पर आया है. इसमें जून 2023 में एक कोचिंग केंद्र में लगी आग की घटना पर अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान लेने के बाद दर्ज एक मुकदमा भी शामिल है. सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने अदालत को बताया कि लागू नियमों का अनुपालन न करने के लिए छह कोचिंग केंद्रों को सील कर दिया गया है और अन्य उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
अदालत को यह भी सूचना दी गयी कि करीब 21 केंद्र खुद बंद कर दिए गए और 20 से अधिक कोचिंग केंद्रों को सील करने का नोटिस भेजा गया है. न्याय मित्र वकील गौतम नारायणन ने कहा कि हालांकि कुछ कोचिंग केंद्रों ने अपना संचालन बंद कर दिया है, लेकिन उनके स्थान पर नए केंद्र खोले जा सकते हैं.
पीठ ने कहा, ‘‘इसे देखते हुए, हम एमसीडी को मुखर्जी नगर में आज की तारीख तक संचालित हो रहे कोचिंग केंद्रों की कुल संख्या बताते हुए एक नयी स्थिति रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश देते हैं.''
उसने कहा, ‘‘हम साथ ही एक निर्दलीय दल भी गठित करते हैं जिसका नेतृत्व न्याय मित्र गौतम नारायण करेंगे और जो स्वतंत्र रूप से इलाके का निरीक्षण करेगा तथा वहां संचालित कोचिंग केंद्रों पर एक रिपोर्ट जमा करेंगे और यह बताएंगे कि उनमें से कितने केंद्र लागू नियमों का अनुपालन कर रहे हैं.''
अदालत ने दिल्ली प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को इस कवायद में नारायण की मदद करने के लिए पांच वकीलों को नामांकित करने के लिए कहा. अदालत ने कहा, ‘‘हम दिल्ली दमकल सेवा को इलाके में एक स्वतंत्र निरीक्षण कराने और उन कोचिंग केंद्रों पर एक रिपोर्ट जमा कराने का निर्देश देते हैं जो नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं.''
उच्च न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की. अदालत ने कहा कि वह उस दिन ‘कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया' की एक याचिका पर भी सुनवाई करेगी जिसमें उसने ‘‘शैक्षणिक भवनों'' की परिभाषा में कोचिंग केंद्रों को शामिल किए जाने का विरोध किया गया है जिसके लिए उन्हें अग्नि सुरक्षा के लिए कुछ विशेष उपाय करने की आवश्यकता है.
फेडरेशन के वकील ने कहा कि कोचिंग केंद्र चाहते हैं कि बच्चे सुरक्षित हों लेकिन उन्हें ‘‘शैक्षणिक संस्थान'' के रूप में शामिल करना मनमाना है.
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