रक्षा मंत्रालय ने सैन्यकर्मियों के विकलांगता पेंशन का दुरूपयोग रोकने के लिए नई नीति बनाई है. यह 21 सितंबर 2023 के बाद रिटायर हो रहे सैनिकों पर लागू होगी. इस तारीख से पहले रिटायर सैनिकों पर यह नीति प्रभावी नहीं होगा. पहले विकलांगता पेंशन की न्यूनतम शुरुआत मूल वेतन का 20 फीसदी था, लेकिन अब यह 5 फीसदी से शुरू होगा. मेडिकल आधार पर परीक्षण के बाद विकलांगता के अनुपात में इसमें बढ़तरी का प्रावधान है, जो 5 से बढ़कर 10 और अधिकतम 40 फीसदी तक जा सकता है.
विकलांगता पेंशन के लिए पहले दावेदारी 5 प्रतिशत तक होती थी, मगर आजकल यह इससे काफी ज्यादा बढ़ गया है. 40 प्रतिशत तक लोग इसका दावा करते हैं. ऐसे में इसका दुरूपयोग न हो यह सुनिश्चित करने के लिए पेंशन की नई नीति लाई गई है.
नई पेंशन नीति में यह प्रावधान भी किया गया है कि जो सैनिक आंशिक रूप से दिव्यांग है और सेनाओं में सेवा दे सकता है, उससे रिटायर होने के बाद इंपेयर्ड अलाउंस (विकलांगता भत्ता) मिलेगा.
इस नीति के बारे में CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा, "नया नियम लाने की बड़ी वजह है, ताकि फोर्स को सही तरीके से ऑपरेशनल रूप से तैयार रखा जा सके. उन्हें मोटिवेटेड रखा जा सके. पुराने नियम के दुरूपयोग को रोका जा सके." CDS ने बताया, "एंटाइटलमेंट और एमोलूमेंट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ. विकलांग होने के बाद भी अगर कोई फौज में रहता है, तो उसको इम्प्रेड रिलीफ मिलेगा. यह 21 सितंबर 2023 से लागू होगा."
CDS जनरल अनिल चौहान ने दावा किया कि नई पेंशन नीति से किसी पूर्व सैनिक को नुकसान नहीं होगा. न ही भविष्य में रिटायर होने वाले सैनिकों के पेंशन पर किसी तरह का असर होगा. उनके अनुसार केवल दिव्यांगता पेंशन को रेशनालाइज किया गया है.
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