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उम्रदराज T-72 टैंकों की जगह लेंगे 1700 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल, जानें कितनी बढ़ेगी सेना की ताकत?

फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल, मौजूदा पुराने होते जा रहे टी-72 टैंकों की जगह लेंगे. ऐसे 1700 टैंक बनाए जाने हैं, जिसके ऊपर 60 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाने का अनुमान है.

उम्रदराज T-72 टैंकों की जगह लेंगे 1700 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल, जानें कितनी बढ़ेगी सेना की ताकत?
फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल, मौजूदा पुराने होते जा रहे टी-72 टैंकों की जगह लेंगे.
नई दिल्ली:

देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना कमर कस रही है. सरकार की कोशिश है कि विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम की जाए और देश में ही ऐसे अत्याधुनिक हथियार बनाए जाएं, जिसके बलबूते सेना आने वाली चुनौतियों का सामना कर पाए. इसी के तहत रक्षा अधिग्रहण परिषद की आम बैठक में करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई.

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल, एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार, डोर्नियर-228 विमान, नेक्स्ट जेनरेशन फास्ट पेट्रोल और ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स की खरीद को मंजूरी दी है. फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल की बात करें, तो इसे अगले 35 से 45 वर्षों तक सेवा में रहने के लिए डिजाइन किया गया है.

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फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल की खासियतें
-फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल की खासियत ये है कि ये अलग-अलग टेरेन में भावी खतरों से निपटने में माहिर है. इससे भारतीय सेना के टैंक बेड़े के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी. 

-फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल, मौजूदा पुराने होते जा रहे टी-72 टैंकों की जगह लेंगे. ऐसे 1700 टैंक बनाए जाने हैं, जिसके ऊपर 60 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाने का अनुमान है. 

-इस व्हीकल की खासियत ये है कि इसमें ऐसा प्रोटेक्शन सिस्टम लगा होगा, जिससे ये ऊपर से गिरने वाले बम और बारूदी सुरंगों से टैंक में बैठे सैनिकों को पूरी तरह सुरक्षित रखेगा. ये मिसाइल वॉर्निंग सिस्टम से भी लैस होगा. 

-वहीं, एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार हवाई लक्ष्‍यों का पता लगाने के साथ-साथ ट्रैक करने में सक्षम है. अगर इसे एंटी एयरक्राफ्ट गन के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो इसकी मारक क्षमता में और इजाफा हो जाता है. 

डार्नियर 228 विमानों के खरीद को भी मिली मंजूरी 
डार्नियर 228 विमानों के खरीद को भी मंजूरी दी गई है. इन विमानों की मदद से समुद्र में भारत का पहरा और मजबूत होगा. इसकी मदद से निगरानी, खोज, बचाव और आपदा राहत अभियान में मदद मिलती है. इसका इस्तेमाल फिलहाल भारतीय तटरक्षक बल और नौसेना करती है. 

पहाड़ी इलाकों के लिए स्वदेशी हल्के टैंक 
प्रोजेक्ट जोरावर के तहत सेना की योजना करीब 17,500 करोड़ रुपये की लागत के 354 स्वदेशी हल्के टैंकों को शामिल करने की भी है. यह टैंक ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध के लिए डिजाइन किए गए हैं. इन 25 टन से कम वजन वाले टैंकों की बेहतर मारक क्षमता है और इनमें सुरक्षा भी मजबूत है.

HAL कर रही ऐसे विमानों का निर्माण
अब देश में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इस विमान का निर्माण करती है. इसके अलावा, समुद्र में चलने वाले अगली पीढ़ी के तेज गति जहाजों और ऑफशोर पेट्रोल वेसल यानी की अपतटीय गश्ती जहाज की खरीद से भारतीय तटरक्षक बल की क्षमता में वृद्धि होगी.

देसी हथियारों से क्या होगा फायदा?
देश के चारों तरफ अभी जो मौजूदा हालात है. उसके मद्देनजर, देशी हथियारों को बढ़ावा देना जरूरी है. चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की तरफ से खतरा लगातार बना हुआ है. ऐसे में घरेलू हथियार, संकट की घड़ी में, भारत के ज्यादा काम आएंगे. 

अपने हथियारों पर सैनिकों का भरोसा भी ज्यादा होगा. इसे बनाना भी आसान होगा. साथ ही, विदेशों पर से निर्भरता भी कम होगी. सरकार की पूरी कोशिश है कि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर, देश में ही अधिक से अधिक हथियारों का निर्माण किया जाए.

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