नई दिल्ली:
कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मंगलवार को जहां बहुब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के अपने निर्णय का बखान किया, वहीं विपक्षी दलों ने इसे जनविरोधी करार दिया।
सरकार के निर्णय का बचाव करते हुए केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने लोकसभा में कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा। उन्होंने विपक्ष पर बिचौलियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर बहस की आवश्यकता नहीं थी और यह सिर्फ एक राजनीति है।
सिब्बल ने कहा कि विपक्ष इस देश में एक नए तरह के संघीय ढांचे की बात कर रहा है, जो इस तथ्य को नजरअंदाज कर रहा है कि यह नीति राज्यों को छूट देती है कि वे खुदरा में किसी एफडीआई परियोजना को अनुमति दें या न दें।
सिब्बल ने कहा, "लेकिन यदि कोई मुख्यमंत्री खुदरा में एफडीआई लाना चाहता है तो आप उसे कैसे रोक सकते हैं।"
सिब्बल ने कहा, "इस नीति का मकसद किसानों को आज मंडी में मिल रही कीमत से अधिक कीमत दिलाने का है।"
सिब्बल ने कहा, "बाजार मूल्य का सिर्फ 15 से 17 फीसदी हिस्सा किसानों को मिल पाता है। विपक्षी नेताओं को यह तय करना होगा कि वे किसानों के साथ हैं या बिचौलियों के साथ...।"
सिब्बल ने कहा, "यह तय किया गया है कि उन्हीं शहरों में खुदरा में एफडीआई की अनुमति दी जाएगी, जहां की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। ऐसे 53 शहर हैं। इसके बाद हमने महसूस किया कि कुछ राज्यों में विपक्षी सरकारें हैं। यदि उन राज्यों को अलग कर दिया जाए, जो इसे लागू नहीं करना चाहते, तो 18 शहर बच जाते हैं।" उन्होंने कहा कि इसलिए देश में केवल 18 शहरों में इस तरह के स्टोर्स खोले जा सकते हैं। उन्होंने इस नीति के बारे में बताया कि निवेशकों को कम से कम 10 करोड़ डॉलर निवेश करना होगा, जिसका आधा आधारभूत संरचना तैयार करने पर खर्च होगा।
उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार की इस नीति को छोटे उद्योगों के लिए मृत्युघोष बताया।
लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि बहुब्रांड खुदरा में एफडीआई छोटे उद्योगों के लिए मृत्युघोष साबित होगा। स्वराज ने कहा कि सरकार का यह दावा मिथक है कि विदेशी निवेश से किसानों, उपभोक्ताओं को लाभ होगा और रोजगार सृजन होगा।
स्वराज ने कहा, "सरकार खुदरा में एफडीआई की अनुमति देने से पहले सभी घटकों के साथ राय-मशविरा करने के अपने वादे से पलट गई है।"
भाजपा नेता ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय अनुभव बताते हैं कि खुदरा व्यापारी मूल्य निर्धारण में लुटेरी नीति अपनाते हैं और वे कीमतें घटा देते हैं ताकि अन्य दुकानें बंद हो जाएं और जब पूरा बाजार समाप्त हो जाएगा तब वे कीमतें बढ़ा देंगे और ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं के पास ऊंची कीमतों पर खरीदारी करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचेगा।"
सुषमा ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि विदेशी निवेश से बिचौलिए की भूमिका समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा, "खुदरा में एफडीआई से बिचौलिया संस्कृति समाप्त नहीं होगी। यहां चीनी उद्योग जैसे उदाहरण भी हैं, जहां कोई बिचौलिया नहीं है, फिर भी किसानों को गन्ने के मूल्य निर्धारण के लिए संघर्ष करना पड़ता है।"
सरकार के इस दावे को खारिज करते हुए कि एफडीआई से रोजगार बढ़ेगा, सुषमा ने कहा, "सरकार कहती है कि एफडीआई से 40 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। लेकिन इन आंकड़ों पर गौर करें तो यदि हमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देना है तो वालमार्ट, टेस्को और भारत आने वाली अन्य कम्पनियों को 53 शहरों में 36,000 से अधिक स्टोर खोलने की जरूरत पड़ेगी। और इसका अर्थ यह होता है कि प्रत्येक शहर में 600 से अधिक स्टोर होंगे।"
स्वराज ने कहा, "सरकार कहती है कि विदेशी कम्पनियों को 30 प्रतिशत उत्पाद भारतीय छोटे और मध्यम उद्यमों से लेना होगा, यानी 70 प्रतिशत उत्पाद आयात किए जाएंगे। क्या कोई उद्योग 30 प्रतिशत उत्पादन पर टिक सकता है? और 90 प्रतिशत आयातित सामान चीन से आएगा और इससे चीन में रोजगार और विकास होगा, भारत में नहीं।"
सुषमा ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कथन को दोहराते हुए कहा कि छोटे व्यापार अमेरिका में विकास के इंजन हैं।
स्वराज ने कहा, "राष्ट्रपति ओबामा छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठानों में खरीदारी करने के लिए अमेरिकियों को प्रोत्साहित करने का अभियान चला रहे हैं। जबकि बाकी दुनिया खुदरा में एफडीआई पर सवाल खड़े कर रही है, ऐसे में हम एफडीआई का स्वागत क्यों कर रहे हैं।"
समाजवादी पार्टी (सपा) नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से बेरोजगारी बढ़ेगी। उन्होंने सरकार को नीति वापस लेने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "जहां तक एफडीआई की बात है, जितना भी आपने बखान किया, वह देश हित में नहीं है।"
मुलायम ने कहा, "हम आम लोगों के लिए बोल रहे हैं। यह देश हित में नहीं है। 30 करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएंगे। यदि यह लाभदायक होता, तो अमेरिका को परेशानी क्यों हो रही है? वहां लोग बेरोजगार क्यों है?"
महात्मा गांधी की स्वदेशी नीति की याद दिलाते हुए मुलायम ने कहा, "गांधीजी ने जब विदेशी कपड़े जलाए थे, तो वे अच्छी गुणवत्ता के थे। एक ब्रिटिश ने उनसे पूछा कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि वे देश के हथकरघे को बचाना चाहते हैं।"
मुलायम ने कहा, "आपको चुनाव में भी इसका (खुदरा क्षेत्र में एफडीआई) लाभ नहीं मिलेगा। हम शायद सत्ता में नहीं आ पाएं, लेकिन हम आपको समर्थन देंगे और आपसे समर्थन लेंगे भी।"
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता दारा सिंह चौहान ने कहा, "गरीब लोग इस नीति से अपने जीवन पर होने वाले असर को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां उनकी जीविका छीन लेंगी। सरकार को इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि बुधवार को मतदान के समय बसपा अपना पक्ष तय करेगी। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बसपा साम्प्रदायिक ताकतों का साथ नहीं देगी। उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई नीति विदेशी कम्पनियों की एक चाल है।
सरकार के निर्णय का बचाव करते हुए केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने लोकसभा में कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा। उन्होंने विपक्ष पर बिचौलियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर बहस की आवश्यकता नहीं थी और यह सिर्फ एक राजनीति है।
सिब्बल ने कहा कि विपक्ष इस देश में एक नए तरह के संघीय ढांचे की बात कर रहा है, जो इस तथ्य को नजरअंदाज कर रहा है कि यह नीति राज्यों को छूट देती है कि वे खुदरा में किसी एफडीआई परियोजना को अनुमति दें या न दें।
सिब्बल ने कहा, "लेकिन यदि कोई मुख्यमंत्री खुदरा में एफडीआई लाना चाहता है तो आप उसे कैसे रोक सकते हैं।"
सिब्बल ने कहा, "इस नीति का मकसद किसानों को आज मंडी में मिल रही कीमत से अधिक कीमत दिलाने का है।"
सिब्बल ने कहा, "बाजार मूल्य का सिर्फ 15 से 17 फीसदी हिस्सा किसानों को मिल पाता है। विपक्षी नेताओं को यह तय करना होगा कि वे किसानों के साथ हैं या बिचौलियों के साथ...।"
सिब्बल ने कहा, "यह तय किया गया है कि उन्हीं शहरों में खुदरा में एफडीआई की अनुमति दी जाएगी, जहां की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। ऐसे 53 शहर हैं। इसके बाद हमने महसूस किया कि कुछ राज्यों में विपक्षी सरकारें हैं। यदि उन राज्यों को अलग कर दिया जाए, जो इसे लागू नहीं करना चाहते, तो 18 शहर बच जाते हैं।" उन्होंने कहा कि इसलिए देश में केवल 18 शहरों में इस तरह के स्टोर्स खोले जा सकते हैं। उन्होंने इस नीति के बारे में बताया कि निवेशकों को कम से कम 10 करोड़ डॉलर निवेश करना होगा, जिसका आधा आधारभूत संरचना तैयार करने पर खर्च होगा।
उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार की इस नीति को छोटे उद्योगों के लिए मृत्युघोष बताया।
लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि बहुब्रांड खुदरा में एफडीआई छोटे उद्योगों के लिए मृत्युघोष साबित होगा। स्वराज ने कहा कि सरकार का यह दावा मिथक है कि विदेशी निवेश से किसानों, उपभोक्ताओं को लाभ होगा और रोजगार सृजन होगा।
स्वराज ने कहा, "सरकार खुदरा में एफडीआई की अनुमति देने से पहले सभी घटकों के साथ राय-मशविरा करने के अपने वादे से पलट गई है।"
भाजपा नेता ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय अनुभव बताते हैं कि खुदरा व्यापारी मूल्य निर्धारण में लुटेरी नीति अपनाते हैं और वे कीमतें घटा देते हैं ताकि अन्य दुकानें बंद हो जाएं और जब पूरा बाजार समाप्त हो जाएगा तब वे कीमतें बढ़ा देंगे और ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं के पास ऊंची कीमतों पर खरीदारी करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचेगा।"
सुषमा ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि विदेशी निवेश से बिचौलिए की भूमिका समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा, "खुदरा में एफडीआई से बिचौलिया संस्कृति समाप्त नहीं होगी। यहां चीनी उद्योग जैसे उदाहरण भी हैं, जहां कोई बिचौलिया नहीं है, फिर भी किसानों को गन्ने के मूल्य निर्धारण के लिए संघर्ष करना पड़ता है।"
सरकार के इस दावे को खारिज करते हुए कि एफडीआई से रोजगार बढ़ेगा, सुषमा ने कहा, "सरकार कहती है कि एफडीआई से 40 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। लेकिन इन आंकड़ों पर गौर करें तो यदि हमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देना है तो वालमार्ट, टेस्को और भारत आने वाली अन्य कम्पनियों को 53 शहरों में 36,000 से अधिक स्टोर खोलने की जरूरत पड़ेगी। और इसका अर्थ यह होता है कि प्रत्येक शहर में 600 से अधिक स्टोर होंगे।"
स्वराज ने कहा, "सरकार कहती है कि विदेशी कम्पनियों को 30 प्रतिशत उत्पाद भारतीय छोटे और मध्यम उद्यमों से लेना होगा, यानी 70 प्रतिशत उत्पाद आयात किए जाएंगे। क्या कोई उद्योग 30 प्रतिशत उत्पादन पर टिक सकता है? और 90 प्रतिशत आयातित सामान चीन से आएगा और इससे चीन में रोजगार और विकास होगा, भारत में नहीं।"
सुषमा ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कथन को दोहराते हुए कहा कि छोटे व्यापार अमेरिका में विकास के इंजन हैं।
स्वराज ने कहा, "राष्ट्रपति ओबामा छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठानों में खरीदारी करने के लिए अमेरिकियों को प्रोत्साहित करने का अभियान चला रहे हैं। जबकि बाकी दुनिया खुदरा में एफडीआई पर सवाल खड़े कर रही है, ऐसे में हम एफडीआई का स्वागत क्यों कर रहे हैं।"
समाजवादी पार्टी (सपा) नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से बेरोजगारी बढ़ेगी। उन्होंने सरकार को नीति वापस लेने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "जहां तक एफडीआई की बात है, जितना भी आपने बखान किया, वह देश हित में नहीं है।"
मुलायम ने कहा, "हम आम लोगों के लिए बोल रहे हैं। यह देश हित में नहीं है। 30 करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएंगे। यदि यह लाभदायक होता, तो अमेरिका को परेशानी क्यों हो रही है? वहां लोग बेरोजगार क्यों है?"
महात्मा गांधी की स्वदेशी नीति की याद दिलाते हुए मुलायम ने कहा, "गांधीजी ने जब विदेशी कपड़े जलाए थे, तो वे अच्छी गुणवत्ता के थे। एक ब्रिटिश ने उनसे पूछा कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि वे देश के हथकरघे को बचाना चाहते हैं।"
मुलायम ने कहा, "आपको चुनाव में भी इसका (खुदरा क्षेत्र में एफडीआई) लाभ नहीं मिलेगा। हम शायद सत्ता में नहीं आ पाएं, लेकिन हम आपको समर्थन देंगे और आपसे समर्थन लेंगे भी।"
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता दारा सिंह चौहान ने कहा, "गरीब लोग इस नीति से अपने जीवन पर होने वाले असर को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां उनकी जीविका छीन लेंगी। सरकार को इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि बुधवार को मतदान के समय बसपा अपना पक्ष तय करेगी। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बसपा साम्प्रदायिक ताकतों का साथ नहीं देगी। उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई नीति विदेशी कम्पनियों की एक चाल है।
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