कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी से निपटने और लॉकडाउन (Lockdown) हटाने को लेकर केंद्र सरकार एक बड़ी नीतिगत पहल कर रही है. कोरोना के मोर्चे पर अगले दो महीने की कार्ययोजना तैयार करने की कवायद चल रही है. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि हर मंत्रालय को रोडमैप (Roadmap) तैयार करने को कहा गया है और इसे प्रस्तुत करने को कहा गया है, जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देख सकते हैं.
सूत्रों ने बताया कि सभी मंत्रालयों और विभागों को लॉकडाउन की घोषणा के बाद से अब तक किए गए कामों की सूची तैयार करने के लिए भी कहा गया है. इसके अलावा आगामी दो महीनों के लिए कार्ययोजना भी तैयार करने के लिए कहा गया है. एक सूत्र ने कहा कि इसके पीछे की वजह लॉकडाउन लागू करने को लेकर हो रही आलोचना के मद्देनजर नीतिगत खामियों से निपटना है.
सूत्र ने कहा, "सरकार का भी मानना है कि कई फैसलों का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हुआ है. अभी तक किए गए उपायों और भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों की विस्तृत प्रस्तुतीकरण से सरकार को सही-सही तस्वीर मिलेगी."
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार ने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था. हालांकि, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और कोरोना की मार झेल रहे उद्योगों को फिर से उभारने के लिए एक व्यापक वित्तीय पैकेज का इंतजार किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में एक कार्यबल का गठन किया है जो कोरोनावायरस का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का आकलन कर रहा है.
भविष्य की कार्ययोजना पर प्रस्तुतीकरण से सरकार को नीति और योजना के मोर्चे पर मदद मिलेगी. सरकार की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर उसे भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
विपक्षी पार्टियों का दावा है कि सरकार कोरोना महामारी ने निपटने के लिए सही तरीके से तैयारी करने में नाकाम रही है खासकर प्रवासी मजदूरों के मामले में. प्रवासी मजदूरों को वापस घर भेजने के लिए वसूले जा रहे किराये को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर जोरदार निशाना साधा है.
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